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श्रावक का छठा गुण- पापभिरूता है: साध्वी आभा श्री जी म. सा

श्रावक का छठा गुण- पापभिरूता है: साध्वी आभा श्री जी म. सा

श्री वर्ध· स्था. जैन श्रावक संघ पनवेल कपड़ा बाजार में विराजित स्पष्टवक्ता परम पूज्या गुरुणी मैय्या साध्वी आभा श्री जी म. सा. ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा – श्रावक का छठा गुण- पापभिरूता है।

व्यक्ति पाप करता है- पर पुण्य का फल भोगना चाहता है। 18 पाप करता है – पर 9 पुण्य कमाता ही नही है। EX- टंकी फुल हो जाती है, तो पानी भी बाहार आ जाता है- उसी तरह से व्यक्ति पाप करता रहता है – तो एक दिन तो पाय का घड़ा फूट जाता है।

स्वस्थ शरीर है- दोलत शौहरत है तो ये पिछले जन्म की कमाई है। Ex-केसर बोयेंगे तो केसर मिलती है- पर अगर प्याज- बोया है तो प्याज ही आएंगे। 2 चैनल है – पाप और पुण्य ।

 हम – कृते को अगर सोने की थाल में परोसा जाए तब भी वह भौंकता है। साध्वी डॉ. श्रेयांशी ने कहा – की आवाज को नहीं सुनोगे जबन्तक अन्तर आत्मा तब तक मुक्ति नहीं मिलेगी – आख है पर आँखो में रोशनी नही है तो आँख का होना ना होना एक समान है – पैरो में चलने की शक्ति न हो तो उसका कोई मतलब नहीं है।

अपनी शक्ति को जाग्रत करने की 3 स्किल्स है-1. हरेज पावर 2. टोलरेन्स पावर 3. रिजेक्शन पावर महापुखेषों के कुछ गुण भी हमारे जीवन में आ जाए तो जीवन में बदलाव आ सकता है।

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