श्रमण संघ के चतुर्थ पट्टधर आचार्य सम्राट ध्यान योगी , तपसूर्य पूज्य गुरुदेव श्री डाँ.शिवमुनि जी महाराज साहब
जो पिछले 23 वर्ष से श्रमण संघ का नेतृत्व कर रहे है आज जीवन के 81 वे वर्ष में प्रवेश कर रहे है ! 18 सितम्बर 1942 को माता विद्यादेवी की कुक्षी से गांव रानिया जो कि पंजाब हरियाणा बार्डर पर स्थित हे वहा हुआ पिताश्री का नाम श्री चिरंजीलाल जी जैन जिनका परिवार बहुत ही संभ्रात व धनाढ़य था। पांच वर्ष की वय मे स्कूल में पढ़ने गये कुशाग्र बुद्धि के कारण हर कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया तेरह वर्ष की अवस्था में ही धर्म के प्रति विशेष लगाव व साधु संतो के प्रति जुड़ाव रहा।
आपका पैतृक व्यवसाय मलोट मंडी पंजाब मे था आपको व्यवसाय के लिए अबोहर भेजा पर आपका मन नही लगा, अध्ययन में आपकी विशेष रुचि रही। दर्शनशास्त्र व इंग्लिश में आपने डबल एम. ए किया अध्ययनरत रहते आप 54 दिवसीय विदेश यात्रा पर गये तथा वहा के वातावरण को पूरी तरह देखा। अन्दर का वेराग्य और प्रबल हो गया तथा जून 1972 में आपने आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी म.सा के सुशिष्य राष्ट्रसंत श्री ज्ञानमुनि जी के पास मलोटमंडी (पंजाब) में भागवती दीक्षा ग्रहण की आपके साथ आपकी बहिन ने भी दीक्षा ली। दीक्षा लेने के बाद आगम का गहन अध्ययन किया तथा ध्यान साधना जीवन का मूलमंत्र बनाया। जिस समय आपने दीक्षा ली चर्चा का विषय रहा कि इतने पढ़े लिखे व बहुत बड़े धनाढ़य व्यक्ति के व संभ्रात परिवार के लड़के ने दीक्षा ली। आपकी प्रतिभा का दिग्दर्शन संयम लेने के कुछ समय बाद ही होने लगा था।
13 मई 1987 को पूना के साधु सम्मेलन में आचार्य सम्राट श्री आनन्दऋषी जी म.सा के मुखारविन्द से श्री देवेन्द्रमुनि जी म.सा को उपाचार्य एवं डा. शिवमुनिजी को युवाचार्य पद की घोषणा की गई जब आपको युवाचार्य बनाया गया तब आपकी दीक्षा पर्याय मात्र15 वर्ष ही थी। आचार्य प्रवर श्री देवेन्द्र मुनि जी के देवलोक गमन होने के बाद जून 1999 मे आप अहमदनगर में आचार्य पद पर विराजमान हुए एवं 7 मई 2000 को आपका आचार्य पद चादर महोत्सव दिल्ली में आयोजित किया गया। तब से आप श्रमण संघ का नेतृत्व करते आ रहे है आप 38 वर्ष से लगातार वर्षीतप आराधना कर रहे है। हजारो शिविर लगाकर लाखों लोगो को ध्यान साधना एवं आध्यात्म से जोड़ा है तथा यह अनवरत चल रहा है जीवन मे उदारवादी सोच के साथ, सह मंगल मेत्री के साथ आपका मिशन आगे बढ़ रहा है।
जीवन मे किस प्रकार के संस्कार हो, जीवन में धर्म का स्वरूप क्या हो, ध्यान जीवन को गहराइयो से किस तरह जुड़ा हे यह आपके प्रवचन के मुख्य बिन्दु होते है । साहित्य के क्षेत्र मे भी आपने उल्लेखनीय कार्य किया है। वर्ष 2015 मे आपके पावन सानिध्य में इन्दौर मे वृहद् साधु सम्मेलन हुआ जिसमें आपने श्री महेन्द्रऋषी जी म.सा. को युवाचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया। एसे हमारे आचार्य सम्राट, ध्यानयोगी, तपसूर्य, आदि कई उपमाओ से अलंकृत आचार्य डा. शिव मुनि जी के पावन चरण सरोजो में हृदय की अनन्य आस्था के साथ जन्म दिवस की बधाई देते हुए चातुर्मास हेतु विराजित दिवाकर भवन पर विराजित जिनशासन चंद्रिका मालव गोरव पूज्य महासती श्री प्रियदर्शनाजी महाराज साहब तत्व चिंतिका पूज्य महासती कल्पदर्शना जी महाराज साहब ने फरमाया के ऐसे आचार्य का पावन सानिध्य एवं नेतृत्व श्रवण संघ को अनवरत मिलता रहे।
उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री संघ अध्यक्ष इंदरमल दुकड़िया एवं कार्यवाहक अध्यक्ष ओमप्रकाश श्रीमाल ने बताया कि आचार्य श्री के जन्म दिवस एकासन एवं सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया एवं सकल संघ द्वारा धर्म सभा में जाप का आयोजन किया गया। जन्म दिवस के उपलक्ष में लकी ड्रा का लाभ श्रीमान वर्धमान जी तरुण जी टुकडिया परिवार ने लिया साथ ही सिविल हॉस्पिटल एवं महिला हॉस्पिटल में मरीजों के परिजनों को भोजन वितरण एवं दरिद्र नारायण को अन्य क्षेत्र में भोजन वितरण कु.प्रियांशी प्रभादेवी टुकड़िया द्वारा किया गया। भोजन वितरण में श्री संघ अध्यक्ष इंदरमल टुकड़िया कार्यवाहक अध्यक्ष ओमप्रकाश श्रीमाल महामंत्री महावीर छाजेड़ उपाध्यक्ष कनकमल चोरडिया विनोद ओस्तवाल सहमंत्री चिंतन टुकड़िया अन्नक्षेत्र जन कल्याण समिति अध्यक्ष चंद्रप्रकाश ओस्तवाल, वर्धमान टुकड़िया, वर्धमान माण्डोत, हनी चोरडिया के साथ श्री संघ के पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित रहे प्रभावना का लाभ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ ने लिया संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने किया।