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श्रध्दां और निष्ठा से नवपद की आराधना करने वालख मनवांछित फल की प्राप्त करता है: महासती धर्मप्रभा

श्रध्दां और निष्ठा से नवपद की आराधना करने वालख मनवांछित फल की प्राप्त करता है: महासती धर्मप्रभा

Sagevaani.com/चैन्नई। नवपद ओलीजी की आराधना और साधना करने वाले साधक मनवांछित फल प्राप्त करता है।रविवार साहुकारपेट जैनभवन मे महासती धर्म प्रभा ने आयंबिल ओली के अंतिम दिवस तप अराधना करने वाले साधको के तप की अनूमोदना करतें हुए कहा कि नवपद की आराधना जन्म-जरा-मृत्यु के महा भयंकर रोग को मिटाकर अक्षय सुख प्रदान करती है तथा आराधना से ही बाह्य-अभ्यंतर सुख की प्राप्ति होती है।

अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, दर्शन, ज्ञान, चारित्र और तप की साधना ही नवपद ओली आराधना का सार है। यह आराधना आत्मिक एवं शारीरिक आरोग्य बढ़ाती है और कर्माे की निर्जरा तथा शारीरिक व्याधि को तो दूर करती ही है मनवांछित फल भी प्रदान करती है।

साध्वी स्नेहप्रभा ने श्री मद उत्ताराध्यय सूत्र विवेचन करतें हुए कहा कि ज्ञान आत्मा के अवगुण को दूर करता है। किसी की भी निंदा वक्ता नहीं करता है। जो व्यक्ति निंदा वक्ता करता है वो ज्ञानवान नहीं वह अज्ञानी है। सच्चा ज्ञानी किसी मे दोष नहीं देखता वह गुण देखता है।

श्री एस. जैन संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया नवपद ओली के अंतिम दिसव नो दिनों तक आयंबिल करने वाले तपस्वीयो का साहुकारपेट श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी शम्भूसिंह कावडिया, महावीर कोठारी, सुभाषचन्द काकलिया, पृथ्वीराज वाघरेचा, जवंरीलाल कटारिया, विजयराज दुग्गड़, उत्तम नाहर मंत्री सज्जनराज सुराणा आदि ने आयंबिल तप तपस्यार्थी के तप की अनूमोदना करते सभी का बहूमान और समान किया गया।

प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्री एस.एस. जैन संघ, साहुकारपेट, चैन्नई

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