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ज्ञान वाणी

श्रद्धा स्वयं की आत्मा से प्रारंभ होती है: साध्वी धर्मप्रभा

एमकेबी नगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा ने कहा श्रद्धा स्वयं की आत्मा से प्रारंभ होती है। आपकी श्रद्धा स्वयं पर है तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी निर्भय बने रहकर अपनी मंजिल पा लेंगे। जिसे खुद पर श्रद्धा नहीं उसकी परमात्मा पर श्रद्धा भी मिथ्या है। आत्मा स्वयं ही अपनी रक्षक है। आपकी श्रद्धा ही आपको पार उतारेगी।
श्रद्धा और विश्वास जीवन विकास के दो मुख्य आयाम  है। असीम श्रद्धा व्यक्ति को ज्योतिर्मय बना सकती है। श्रद्धा का अर्थ है अपनी आत्मा की पहचान। अपने आप पर विश्वास। श्रद्धा का अर्थ केवल यह नहीं है कि हम परमात्मा या उनकी शक्तियों पर विश्वास करें।
साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा संयम वह शक्ति है जो अपवित्र आत्मा को पवित्र, दास को पूजनीय, मूर्ख को ज्ञानवान बना देती है।
संयमपूर्ण आत्मा मोक्ष के पथ पर चलकर जल्दी ही शाश्वत और अनंत सुख प्राप्त कर लेती है। संयम मार्ग का कोई सरल मार्ग नहीं है। यह बहुत कठिन साधना का जटिल मार्ग है जिस पर कोई विरली आत्मा ही कदम बढ़ा सकती है। संयम पालन करना कायरों का नहीं बल्कि शूरवीरों का काम है। संचालक सज्जन राज सुराना ने बताया कि मरुधर केसरी जन्मोत्सव के पांच दिवसीय कार्यक्रम के तहत आज एकासना दिवस मनाया गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

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