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श्रद्धा सबुरी दो सार्वभौमिक शब्द है : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

श्रद्धा सबुरी दो सार्वभौमिक शब्द है : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

श्रीजी वाटिका में राष्ट्रसंत का प्रवचन संदेश

इंदौर। साईं बाबा के पास सर्व समाज के लोग जाते थे, हर जाति वर्ग का व्यक्ति उनकी आस्था-भक्ति में शामिल है।वर्षों से उनके दो ही शब्द सार्वभौमिक है श्रद्धा और सबुरी. यह अहम और महत्वपूर्ण शब्द सभी पर लागू होते हैं।
इन सद्विचारों के साथ विश्वविख्यात कृष्णगिरी तीर्थधाम शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने मंगलवार को कहा कि वर्तमान समय में कोई व्यक्ति स्वयं के प्रति भी विश्वस्त नहीं है।
इसी परिपेक्ष में भगवान श्रीकृष्ण एवं पांडवों के बीच एक संवाद प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस दुनियावी संसार में अपार व असीम सुख समृद्धि है तो दुख परेशानियां भी है।
गलत चीजों-विचारों के उदाहरण स्मृति पटल में नहीं लाने चाहिए, लेकिन लोग नकारात्मकता ही ज्यादा सोचते हैं ऐसे में वायुमंडल में प्रवाहित तरंगे वैसे ही घटनाक्रम, सोच-विचार को हकीकत में तब्दील कर देती है।
यहां श्रीजी वाटिका में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने संदेश में संतश्रीजी ने दुनिया के मशहूर उद्योगपति हेनरी फोर्ड (फोर्ड कार के मालिक) का एक उदाहरण देते हुए कहा कि नकारात्मक विचारों को दिमाग में रखकर किसी भी व्यक्ति का जीवन श्रेष्ठ नहीं बन सकता है। ‘मेरा सदैव शुभ-भला होगा, परमात्मा अथवा गुरुवर मेरे साथ हैं, वही मेरा सब काम अच्छा करेंगे’। इन भावों को पूर्ण विश्वास के साथ व्यक्ति द्वारा जेहन में रखने पर वह अवश्य सफलता अथवा प्रगति पथ पर बढ़ने की ओर अग्रसर होगा।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि साईं कहते हैं ‘मेरी (गुरु-परमात्मा की) ताकत कितनी है इसे नहीं, बल्कि व्यक्ति को स्वयं कि श्रद्धा विश्वास को महसूस करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, प्रकृति के नियमों में हर चीज निर्धारित है। आज हर श्रावक-श्राविका इतने पूजा, व्रत व नियम कर रहे हैं, फल मिलेगा ही यह विश्वास भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि भक्ति की कमी नहीं है विश्वास की कमी है। विश्वास होगा तो परमात्मा को साक्षात प्रकट होकर भक्त की हर इच्छा को पूर्ण करना ही पड़ेगा। इस अवसर पर सभी का स्वागत अभय बागरेचा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रितेश नाहर ने जताया।

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