बेंगलूरु। यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में रविवार को जैन दिवाकरीय, ज्योतिष चंद्रिका व शासनीसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने आस्था, वास्ता और रास्ता विषयक प्रवचन दिया। इस अवसर पर प्रवर्तकश्री पन्नालालजी म.सा. की 133वीं जन्मजयंती प्रसंग पर गुणानुवाद भी हुआ।
गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में साध्वीवृंद के मुखारविंद से सामूहिक मंगलाचरण एवं गुरु दिवाकर चालीसा वाचन के साथ शुरु हुई धर्मसभा में साध्वीश्री ने परमात्मा के प्रति श्रद्धा एवं आस्था को मजबूत रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई आराधना में बहुत शक्ति होती है। धर्म को भी तर्क का नहीं, बल्कि श्रद्धा एवं आस्था का विषय बताते हुए साध्वीश्री ने कहा कि सन्यास से अर्थ परिवार छोड़ना नहीं, सारे संसार को परिवार बना लेना है।
आस्था अंतरंग का विषय है। मन में श्रद्धा हो तो तर्क नहीं उठता, जहां श्रद्धा में कमी होती है, वहीं तर्क का सिलसिला शुरु हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस दुनियावी संसार में बगैर श्रद्धा और विश्वास के व्यक्ति मुर्दे के समान होता है। मजबूत श्रद्धावान व्यक्ति असीम उंचाइयां छू सकता है। डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि जिस प्रकार बीजारोपण के बाद पौधा और उसे वृक्ष बनने में समय लगता है उसी प्रकार श्रद्धा के साथ भी प्रतीक्षा जरुरी होती है। साध्वीश्रीजी ने कहा कि नदी में नाव का, शरीर में पांव का तथा पूजा में भाव का उसी प्रकार प्रभु की भक्ति में श्रद्धा का बड़ा महत्व है।
श्रद्धा के तीन प्रकार क्रमशः ज्ञानमूलक, मोहमूलक व अज्ञानमूलक की भी विस्तार से उन्होंने व्याख्या की। उन्होंने कहा कि सत्संग और प्रवचन से हमें मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है। साध्वीश्री ने यह भी कहा कि व्यक्ति की जिंदगी में यदि परमात्मा की भक्ति की आस्था है तो जीवन का रास्ता प्रभु स्वयं दिखा देते हैं, इसके लिए विश्वास एवं श्रद्धा के दीपक को जलाए रखना जरुरी है। इस अवसर पर श्री पन्नालालजी म.सा. के जन्मजयंती प्रसंग पर उनके जैकारे के साथ संतश्री के जीवन वृतांत पर भी साध्वीश्री ने प्रकाश डाला।
इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने गीतिका की प्रस्तुति दी। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने अंतगढ़ व कल्पसूत्र का वाचन किया। उन्होंने कहा कि आस्था होने पर ही प्रभु एवं परिवार के साथ वास्ता बनता है। वास्ता जुड़ने पर व्यक्ति को नया जीवन जीने का रास्ता मिल जाता है। डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने जैन आगमों व प्रभु महावीर के विचारों को आचरण में लाकर विचारों को शुद्ध करने की सीख दी। साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने स्तवन प्रस्तुत किया।
समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि धर्मसभा में प्राज्ञ संघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भागचंद कोठारी व जोधपुर तथा कालहस्ती से आए श्रद्धालुओं का सत्कार किया गया। उन्होंने बताया कि साध्वीवृंद द्वारा विभिन्न प्रकार की तपस्याएं करने वाले श्रद्धालुओं को पच्चखान कराए गए। चेतन दरड़ा ने बताया कि गौतमचंद काटेड़, दिनेश बोहरा, निर्मला बोहरा व प्रेक्षा मेहता ने अपनी-अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि जयजिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में अभिषेक जैन, तरुणा जैन व श्रुति बंब को पुरस्कृत किया गया। उन्होंने बताया कि साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी की निश्रा में शिक्षाप्रद जैन हाउजी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। रांका ने बताया कि सोमवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर तप के महत्व व संस्कार पर साध्वीवृंद का प्रवचन होगा। अशोककुमार गादिया ने संचालन किया। सभी का आभार समिति के सदस्य प्रकाश डोसी ने जताया।
दो दिवसीय महामंगलकारी अनुष्ठान 28-29 सितंबर को
गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी आदि ठाणा की निश्रा में महावीर धर्मशाला में आगामी 28 व 29 सितंबर को महामंगलकारी श्री अरिष्टनेमी व श्री पाश्र्वनाथ अनुष्ठान का आयोजन होगा।
रांका ने बताया कि संपूर्ण जैन विधि से 24 घंटे के इस निशुल्क अनिष्टकारी व महामंगलकारी अनुष्ठान के लिए पंजीयन अनिवार्य रखा गया है।
उन्होंने बताया कि इस अनुुष्ठान में बगैर हवन, पूजन व अर्चन के मात्र स्वनाम धन्य तीर्थंकर का जाप करके जीवन में असीम सुख-शांति तथा ऋद्धि-समृद्धि की प्राप्ति की जा सकती है।