संथारें में हुआ देवलोक गमन
जैन संस्कार विधि से सम्पादित हुआ अंतिम संस्कार
नार्थ टाउन, चेन्नई – हर श्रावक का परमलक्ष्य होता है कि मोक्ष की और सलक्ष्य गतिमान हो। श्रीमती भंवरीदेवी सेठिया धर्मपत्नी स्व. श्री संचियालाल ने श्रावक के तीसरे मनोरथ अनशन का स्वीकरण कर अपने जीवन को धन्य बनाया – उपरोक्त विचार तेरापंथ सभा भवन में श्रीमती भंवरीदेवी सेठिया की स्मृति सभा में साध्वी अणिमाश्री ने कहें।
साध्वीश्री ने आगे कहां कि भंवरीदेवी संघ और संघपति के प्रति पूर्ण श्रद्धावान श्राविका थी। वे पिछले लगभग 40 वर्षों से रात्री भोजन नहीं करती। चातुर्मास में दो मास एकांतर तप करती। साधु-साध्वियों को आहार-पानी बहाराने की उनकी उत्कृष्ट भावना रहती हैं। प्रतिदिन सामायिक स्वाध्याय के साथ अपने बच्चों में भी धार्मिकता के संस्कार कूट कूट कर भरें। उन्होंने अंतिम समय में संथारा स्वीकार कर अपने जीवन का स्वर्णिम इतिहास रचा। साध्वीवृन्द ने स्वरचित गीतिका के संगान से गुणानुवाद किया।
रुंधे कण्ठों से उनके पुत्र तेयुप मंत्री संतोष सेठिया ने कहा माँजी हमारे संस्कारों की पाठशाला थी। आपकी धर्मपारायण हमारे जीवन की धरोहर बनें। पारिवारिक जन, तेरापंथ सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड़, तेयुप अध्यक्ष मुकेश नवलखा, महिला मण्डल उपाध्यक्षा श्रीमती गुणवंती खांटेड़ एवं अन्य संस्था के व्यक्तियों ने भी अपनी भावांजलि व्यक्त करते हुए दिव्यात्मा श्रीडूंगरगढ़ निवासी, चेन्नई प्रवासी श्रीमती भंवरीदेवी सेठिया की आत्मा के आध्यात्मिक उन्नयन की शुभभावनाएँ सम्प्रेषित की।
परम् पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमणजी की आज्ञा से साध्वी अणिमाश्री की सहवर्तीनी साध्वी सुधाप्रभा, साध्वी मैत्रीप्रभा ने सोमवार शाम को उनके निवास स्थान बिन्नी मिल, नार्थ टाउन पधार कर तिवीहार संथारें का प्रत्याख्यान करवाया। मंगलवार रात्री में उच्च भावों से संथारें में श्रीमती सेठिया का देवलोक गमन हो गया। बुधवार मध्यान्ह में जैन संस्कार विधि से संस्कार श्री स्वरूप चन्द दाँती, श्री पदमचन्द आंचलिया के साथ श्री गजेन्द्र खांटेड़, श्री पुखराज पारख ने सम्पूर्ण मंगलमंत्रोच्चार के साथ “अंतिम संस्कार विधि” परिसम्पन्न करवाई। सभी परिजनों ने माँजी की स्मृति में यथायोग्य त्याग-प्रत्याख्यान किये।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई