जीवन में सदविचार की भावना जीवन को प्रगति की और अग्रसर अग्रसर करती है। हमें इस जीवन में पुण्य का उपार्जन पाप का विसर्जन ध्यान का अर्जन आत्मा के सृजन का विचार इस मानव जीवन को सदमार्ग की ओर ले जाती है।
उक्त विचार जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग की धर्म सभा में संत गौरव मुनि ने व्यक्ति किये।
पयुर्षण पर्व की धार्मिक संस्कार में सभी वर्ग के लोग अपनी हिस्सेदारी दर्ज कर रहे है।
संत गौरव मुनि ने आगे कहा शुभ विचार, दया के विचार जीवन में स्वस्थ चिंतन को जन्म देती है। अशुभ एवं अपवित्र विचार मानव मन मस्तिक में अहंकार की भावना को जन्म देती हे और जहां अहंकार होता है वहां विनाश निश्चित है।
पयुर्षण पर्व के दौरान दैनिक दिनचर्या के रूप में सुबह प्रतिक्रमण, प्रार्थना, प्रवचन मंगल पाठ, महिलाओं की धार्मिक शिक्षा, धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम संध्याकालीन प्रतिक्रमण रात्रि में जयमल जी महाराज का चमत्कारी जापइस प्रवचन पर्व के आयोजन में चार चांद लगा रहा है।
श्रमण संघ परिवार के लोग जप तप त्याग तपस्या के इस अनुष्ठान में सक्रिय रुप से योगदान दे रहे हैं।
श्रमण संघ परिवार में दुर्ग में पयुर्षण पर्व के पावन प्रसंग पर त्याग तपस्या का लगा हुआ है।
2,3,4,5,6,7,8,11,16, उपवास की तपस्या गतिमान है छोटे-छोटे बच्चों सहित पति पत्नी सह जोड़ें मिलकर इस तपस्या में लीन है।
सभी सेवा भावी तपस्वीयों की बारंबार अनुमोदना
आदित्य चौरड़िया, डॉ प्रणव कांकरिया, प्रतीक्षा करनावट, निर्मला संचेती, आयुष संचेती, आयुषी संचेती, प्रतीक संचेती, युम्ती संचेती, आशा कांकरिया, सुप्रिया छाजेड़, वर्धमान बोहरा., आदित्य सुराना, डोली बाफना, टीकम छाजेड़ टोनू -जैनम बाघमार, अमीत बाघमार, टीकम छाजेड़, लता छाजेड़, बेटी संचेती, सपना संचेती, दिनेश बाफना, अमीत लाहोरी, प्रांजल पारख, जय श्री बाघमार, आकाश पारख, भूमिका पारख, मदन लाल श्रीश्रीमाल, भीखम चोरडिया, अमन सुराणा, प्रिंस श्रीश्रीमाल, रमण नाहर, आदित्य नाहर, युक्ति बोहरा, ख़ुशी करनावट, युक्ता बोहरा, सिद्धार्थ चौरड़िया की यह कठिन तपस्या केवल गरम पानी के आहर के रूप में सुख साता पूर्वक निर्विघ्नं संपन्नता की ओर अग्रसर है।