चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने कहा कि शुभ भावना से दिया गया दान मोक्ष की ओर ले जाता है। अब मन को तेजो लेश्या में लाना है। पद्म और शुक्ल लेश्या में आभा मंडल शुभ होगा। पद्म और शुक्ल लेश्या वाला व्यक्ति सात्विक जीवन जीता है। कीचड़ में रहकर भी कमल खिलता है।
पद्म लेश्या में इलायची कुमार जीते थे। उन्हें नृत्य देखकर वैराग्य आया। हम चार महीने इसलिए प्रवचन सुनते हैं क्योंकि हमारे व्यवहार में बदलाव आए। सत्कार्य से कर्म के बंधन कम होंगे। यही पद्म और तेजो लेश्या के भाव हैं। पद्म सरोवर देखेंगे तो सरोवर के पार जाने और मोक्ष पाने का भाव जागेगा।
साध्वी परमकीर्ति ने कहा क्रोध करने के पहले अच्छी तरह से सोचो। हर बात में फायदा और नुकसान देखते हो और क्रोध करने के पहले नहीं सोचते। क्रोध आए तो सोचो इसका क्या फायदा है और क्या नुकसान। क्रोध से किसी भी प्रकार लाभ नहीं होता। इसके कारण कई बार लोगों की मौत भी हो जाती है।
इसलिए इससे बचने का हमेशा प्रयास करना चािहए। साध्वी ने कहा जैसे शुभ कार्य के लिए मुहूर्त निकलवाते हैं वैसे ही अशुभ कार्य से बचने के लिए भी मुहुर्त निकालो।