शुध्द आराधना मोक्ष का मार्ग दिखाती है। ज्ञान का बोध प्राप्त करना है तो साधु- संतोंका समागम आवश्यक है – डॉ. राज श्री जी म.सा. श्रुत ज्ञान अज्ञान का क्षय करता है! श्रुत ज्ञान याने सम्यक् ज्ञान का बोध! केवलज्ञान अनमोल ज्ञान है! स्वाध्याय करनेसे कर्म का ज़हर उतर जाता है! साधुकी साधकता अपने अंदर होती है! साधकता की पुजा होती है! हम सभोको आत्माके अंदर ज्ञाता दिप जलाना है! ज्ञान नहीं तो दान देना निरर्थक है, फल की कामना भी निरर्थक है!
यदि हमे मनके सिंहासन पर राम को बैठाना है तो रावण रुपी विकारों को हटाना होगा ! डॉ. मेघाश्री जी ने अपने उद् भोदन मे AEIOU का विश्लेषण कर A-Anger क्रोध को खत्म करो E-Ego – अहंकार, क्रोध को मिटाना है! I- Idiot बदमाशी, शैतन्य को मिटाना है! मानव प्रव्रुति सहकार प्रव्रुति है! O-Observation निरिक्षण! हमें आत्म निरींक्षण करना है! U-Useful हमें मददगार , सहाय्यक बनना है!
आज के धर्मसभा मे महासतीयोने “ समाज- भुषण” इस राष्ट्रीय उपाधिसे नवाज़े गये सुंभाषजी ललवाणी के गुण विशेषो का, प्रचंड जन संग्रह, समाज के हर क्षेत्र के व्यक्ति, संस्थाओंके साथ बने हुये मधुर संबंधोका , विनयशिलता,एवं समर्पण भाव,एवं सकारत्मकता का सुंदर शब्दोमे ज़िक्र कर बधाई दी! संघके पुर्व अध्यक्ष जवाहरजी मुथा,विश्वस्त सुर्यकांतजी मुथीयान। राजेंन्द्रजी रातडीया ने अपना मनोगत व्यक्त कर कार्यकुशलता एवं संघटन कौश्यल्य की सराहना की !
इस पुरस्कार की महत्ता समझते हुये आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ द्वारा भी विश्वस्त मंडल द्वारा श्रध्येय महासाध्वी जी डॉ. राज श्री महाराज, डॉ. मेघा श्री जी महाराज साध्वी समिक्षा श्री जी महाराज एवं साध्वी जिना ज्ञा श्री जी महाराज के सानिध्यमे सुभाषजी एवं कांता जी ललवाणी को सन्मानित किया गया! पुर्वा ध्यक्ष जवाहरजी मुथा विंश्वस्त नेनसुख जी मांडोत, मोतीलालजी चोरडीया, सुर्यकांतजी मुथीयान, राजेंन्द्र जी छाजेड, हिरालीलजी लुणावत, पोपटलालजी कर्नावट, राजेंन्द्र जी कटारिया, प्रकाशजी मुनोत, श्रीकांतजी नहार, विजयजी गांधी, अहमदाबाद से शांतीलालजी पालरेचा, ज्योतिजी खिंवसरा, मनिषा जी जैन, सुनंदा जी लोढ़ा, निताजी ओस्तवाल, अरुणा जी बोरा आदि के करकमलोद्वारा सन्मानित किया गया! स्वाध्यायी निताजी ओस्तवाल को भी संघ द्वारा कांताजी ललवाणी एवं ज्योतिजी खिंवसरा ने सन्मानित किया!