दिवाकर भवन पर विभिन्न धार्मिक गतिविधियों एवं त्याग तपस्या के साथ चातुर्मास गतिमान है प्रतिदिन प्रवचन के माध्यम जिनशासन चंद्रिका मालव गौरव पूज्य महासती प्रियदर्शना जी महाराज साहब ने सुख-विपाक सूत्र का वाचन करते हुए फरमाया कि शील धर्म सब धर्मों में बड़ा है यह ऐसा रत्न है जिसके आगे तीनों लोक की संपदा भी धूल के समान है। व्यक्ति को मर्यादित आचरण करना चाहिए आत्म बल को मजबूत रखते हुए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। तत्व चिंतका महासती कल्पदर्शना जी महाराज साहब ने भी धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया कि किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता आपके होने या ना होने से जीवन की गाड़ी रूकती नहीं है व्यक्ति की सोच मे उसका अंहकार झलकता है कि मेरे द्वारा सभी कार्य किए जाते हैं व्यक्ति को गर्व की भाषा नहीं बोलना चाहिए। जिस मानव के अंतरात्मा में जिनवाणी उतर जाती है वह विनम्र हो जाता है। घर परिवार समाज में कोई अच्छा कार्य हो जावे तो अभिमानी व्यक्ति उस कार्य का श्रेय स्वयं लेना चाहता है लेकिन बुरा हो तो उसका दोष दूसरों पर डालने का प्रयास करता है अपने अज्ञानता एवं अहंकार के कारण ही व्यक्ति स्वयं कष्ट उठाता है भगवान कभी भी दुख तकलीफ नहीं देता है व्यक्ति को अपने कर्मों का भुगतान स्वयं करना होता है।
व्यावहारिक बोलचाल की भाषा में अपना संयम नहीं खोना चाहिए । आप सभी को सम्मान दीजिए आपकी मान प्रतिष्ठा में वृद्धि के साथ आपकी कीर्ति पताका भी फहरागी। उपरोक्त जानकारी देते हुए श्री संघ अध्यक्ष इंदरमल दुकड़िया एवं कार्यवाहक अध्यक्ष ओमप्रकाश श्रीमाल ने बताया कि भक्तामर अनुष्ठान कि 33 वी गाथा का अनुष्ठान का लाभ श्रीमती सुभद्रा देवी प्रकाशचंद जी प्रवीण जी प्रमोद जी मेहता परिवार ने लिया। परामर्शदाता पुखराज जी कोचट्टा की पुत्रवधू श्रीमती उषा राकेशजी कोचट्टा ने 24 उपवास, श्रीसंघ उपाध्यक्ष सुशील जी मेहता ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान महासती जी के मुखारविंद से लिए।
7 अगस्त को रक्षाबंधन के उपलक्ष में नाटक का मंचन दिवाकर भवन पर किया जावेगा प्रतिदिन विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में सभी नवकार मंत्र आराधको से धर्मलाभ लेने की अपील संघ के वीरेन्द्र कोचट्टा, पारसमल बरडिया, राजमल खारिवाल, पुखराज कोचट्टा, शान्तिलाल डांगी, पवन संघवी, कनकमल चोरडिया, विनोद ओस्तवाल, कमलेश कटारिया, विजय कोचट्टा, तरुण खारिवाल, चिंतन टुकडिया, मनोज डांगी, बसंतीलाल चपडोद, मनोहरलाल चपडोद, सुजानमल ओरा, नरेंद्र मेहता, अतुल मेहता ने की है। धर्म सभा का संचालन महामंत्री महावीर छाजेड़ ने किया।