विकास महोत्सव मनाया गया
कल भिखू स्याम पर होगा विशेष प्रवचन
माधावरम्, चेन्नई श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई के तत्वावधान में *आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकरकुमारजी एवं मुनिश्री नरेशकुमारजी* के सान्निध्य में, जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर में *विकास महोत्सव एवं शिक्षक दिवस* का आयोजन किया गयाl
धर्म परिषद को संबोधित करते हुए मुनि सुधाकर ने कहा आज का समाज अनैतिकता, भष्ट्राचार और साम्प्रदायिकता की बीमारी से पीडित है। इस स्थिति में शिक्षकों से बहुत आशाएं और अपेक्षाए है। वे भावी राष्ट्र के निर्माता है। आज भी शिक्षकों के वर्ग में नैतिक आदर्शों के प्रति दूसरों की तुलना में अधिक श्रद्धा और आस्था दिखाई दे रही है। जीवन विज्ञान का कार्यक्रम नैतिक शिक्षा और चरित्र निर्माण का असाम्प्रदायिक कार्यक्रम है। इसके यौगिक प्रयोगों के अभ्यास से आंतरिक शक्तियों को जगाया जा सकता है तथा स्वभाव का सुधार और बदलाव हो सकता है।
मुनिश्री ने विशेष रूप से कहा कि विद्यालय सरस्वती का मंदिर होता है। उसका वातावरण नशामुक्त और पवित्र होना चाहिये। शिक्षकों के चरित्र से विद्यार्थी बहुत अधिक प्रभावित होते है। उनमें आत्मविश्वास, संयम और संकल्प बल की आवश्यकता है।
मुनि श्री सुधाकरकुमारजी ने अपने उद्बोधन में कहा आचार्य श्री तुलसी का जीवन अहिंसा, अध्यात्म और अनेकान्त की प्रयोगशाला था। वे विरोधी विचारों और परम्पराओ के प्रति उदार और सहिष्णु थे। उन्होने धर्म को जातिवाद और संप्रदायवाद की संकीर्णता से मुक्त किया तथा सर्व -धर्म समन्वय की सुन्दर भुमिका का निर्माण किया। गुरुदेव तुलसी ने धर्मसंघ में शिक्षा, साहित्य और साधना की सरिता प्रवाहित की। मुनिश्री ने आगे कहा- गुरुदेव तुलसी का जीवन जगम (गतिशील) विश्वविद्यालय के समान था। उन्होने अनेक अद्भुत प्रतिभाओ का निर्माण किया। उन्होने लम्बी-लम्बी पदयात्राएं कर राष्ट्र में एकता और नैतिकता की ज्योति प्रज्वलित की। मुनि श्री नरेशकुमारजी ने धर्म की व्याख्या को प्रतिपादित करते हुए गीत का संगान किया। प्रवीण सुराणा ने बताया कि दिनाक 7/9/22 बुधवार को मुनिश्री का विशेष प्रवचन निर्भयता का महामंत्र भिखू स्याम और तेरह गांठों का शक्तिशाली भिखू स्याम का रक्षा कवच कैसे बनाये पर होगाl