सूरत। राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ महाराज ने कहा कि जीने के नाम पर तो सभी जीते हैं, पर असली जीना उसी का होता है जिसे जीने की कला आती है। आईने के सामने तो हर कोई सजता-सँवरता है, पर जिंदगी उसी की होती है, जो आईने सरीखी साफ-सुथरी जिंदगी जीता है। उन्होंने कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग के सैकड़ों सूत्र हैं, पर यदि हम इसकी एबीसीडी भी सीख लें तो जीवन से जुड़े अनेक गिले-शिकवे मिटाए जा सकते हैं, प्रेम और आनंद के अनेक फूल खिलाए जा सकते हैं।
उन्होंने सेवन सी का फार्मूला देते हुए कहा कि नो कम्प्लेन अर्थात शिकायत न करें। हर शिकायत हमारे क्रोध और विरोध को दर्शाती है, फिर चाहे वह बच्चों के प्रति हो या माता-पिता, शिक्षक, प्रशासक, कानून अथवा राजनेता के प्रति। हम शिकायत करने की बजाय खुद आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभाएँ और समस्या को सुलझाने में स्वयं का योगदान दें। उन्होंने कहा कि दूसरा फार्मूला है नो क्रीटीसाइज अर्थात निंदा-आलोचना न करें।
प्रशंसा करेंगे तो प्रेम, प्रेरणा और प्रगति के द्वार खुलेंगे, पर निंदा-आलोचना से तो राग-द्वेष और वैर-वैमनस्य की ही दीवारें खड़ी होंगी। अगर हमारे भीतर दूसरों की निंदा करने की आदत है तो अपनी टांग-खिंचाई की आदत आज से ही बदल लें। आप तो प्रशंसा-तारीफ कीजिए फिर देखिए जिसे हम गधा समझते थे वह भी घोड़े की तरह रेस में जीत हासिल करने लग जाएगा।
संत चन्द्रप्रभ गुरुवार को समस्त सूरत खरतरगच्छ जैन श्री संघ एवं ललितचन्द्रप्रभ सूरत प्रवास व्यवस्था समिति के तत्वावधान में साकेत टेक्सटाइल मार्केट परिसर, आईमाता चैक के पास, पर्वत पटिया में आयोजित छः दिवसीय प्रवचनमाला के समापन पर हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तीसरा फार्मूला है नो कम्पेयर अर्थात दूसरों से अपनी तुलना न करें – न किसी की साड़ी देखकर और न किसी की गाड़ी देखकर वरना ईष्र्या और लालच हमें अंधा बना देगी। सुखी जीवन का मंत्र है जो है प्राप्त, उसे समझें हम पर्याप्त और विकास का मंत्र है बनना है तो खुद के जैसा बनो, औरों की नकल करने वाले बंदर जैसा नहीं।
उन्होंने कहा कि चैथा फार्मूला है बी क्रिएटिव अर्थात रचनात्मक बनें। पुरुषार्थ ऐसा करें जो सही और सार्थक दिशा से जुड़ा हो। रात को सोने से पहले इन तीन बातों पर जरूर विचार करें – 1. आज मैंने ऐसा क्या किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था, 2. आज मैंने ऐसा किया जिसे मैं और बेहतर तरीके से कर सकता था, 3. आज मैंने ऐसा क्या किया जिसे करके मैं गौरव और आनंद का अनुभव कर रहा हूँ।
उन्होंने कहा कि पांचवां फार्मूला है बी काॅन्फिडेंट अर्थात भरोसा रखें – खुद पर, ईश्वर पर। दिल में यह विश्वास जगाएँ कि ईश्वर हमारे साथ है। बाधाएँ पहाड़-सी हैं तो क्या हुआ विश्वास हवाई जहाज जैसा है जो बाधाओं के हर पहाड़ के भी पार जा सकता है। अगर दिल में है आस्था तो बंद दरवाजों में भी खुल जाता है रास्ता। उन्होंने छट्ठा फार्मूला देते हुए कहा कि बी क्रोम्प्रोमाइज अर्थात समझौता करना सीखें। अपनी बात पर अड़े न रहें।
अपनों से टूटकर जीना विकृति है, एक दूसरे के साथ जीना प्रकृति है, पर समझौता करते हुए एक दूसरे को निभाना हमारी संस्कृति है। गीत याद रखिए – समझौता गमों से कर लो, जिंदगी में गम भी मिलते हैं। पतझड़ आते ही रहते हैं, मधुबन फिर भी खिलते हैं। सातवां फार्मूला है बी कन्ट्रीब्यूट अर्थात योगदान अवश्य दें। जीवन में यह महत्त्वपूर्ण नहीं है कि हमें लोगों से क्या मिला, महत्त्वपूर्ण यह है कि हमने औरों के लिए क्या योगदान किया।
वही बनते हैं महान जो देते हैं अपना योगदान। सूरज रोशनी देकर अपना योगदान देता है और चाँद शीतलता देकर, बादल पानी बरसाकर योगदान देते हैं और वृक्ष फल देकर। हम भी योगदान करना सीखें – भूखों को भोजन देकर, अनपढ़ों को पढ़ाकर, मरीजों को दवा देकर, बेसहारों को सहारा देकर। जो केवल अपना भला करे, दुनिया में वह दुर्योधन कहलाता है। जो औरों का भला करे वह युधिष्ठिर कहलाता है, पर जो सबकी भलाई का ध्यान रखता है संसार में वही कृष्ण और महावीर कहलाते हैं। हम कृष्ण और महावीर बन सकें तो यह हमारा सौभाग्य होगा, पर कम-से-कम खुद को युधिष्ठिर से कम तो मत होने दीजिएगा।
मारवाड़ी भजन सुनकर झूम उठे श्रोता-जब संतश्री ने मीठो-मीठो बोल थारो कांई लागे, चार दिनों रो जीणो है संसार, थारी मारी छोड़ करें सब प्यार.. का मारवाड़ी भजन सुनाया तो श्रद्धालु खड़े होकर झूमने लग गए।
इससे पूर्व मुनि शांतिपिय सागर ने कहा कि सदाबहार स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए सात्विक भोजन लीजिए और सात्विक विचार रखिए। बीमार होकर दवाई लेना अच्छी बात है, पर स्वयं को बीमार ही न पड़ने देना उससे भी अच्छी बात है। हम कितने मूर्ख है कि पहले धन को पाने के लिए स्वास्थ्य को दांव पर लगाते हैं, फिर स्वास्थ्य को पाने के लिए धन को दांव पर लगाते हैं।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित किया। इस अवसर पर गुरुजनों ने प्रवचनमाला के संयोजक बाबूलाल संखलेचा और लाभार्थी बाड़मेर खरतरगच्छ जैन श्री संघ, शीतलवाड़ी जैन श्री संघ, कुशल कंाति जैन श्री संघ के ट्रस्टी महानुभावों को स्फटिक रत्न की माला देकर आशीर्वाद दिया साथ ही गुरुजनों के प्रवास का लाभ लेने वाले अशोककुमार गांधी का भी अभिनंदन किया गया। इसी दौरान समाज के अग्रगण्य लोगों ने इस प्रवचनमाला को सूरत के लिए वरदान बताया और राष्ट्र-संतों से आगामी चातुर्मास सूरत में करने की विनती की।
राष्ट्र-संतों और आचार्य शिव मुनि का कल होगा मंगल मिलन, होंगे सामूहिक प्रवचन-कल शुक्रवार को राष्ट्र-संत ललितप्रभ और चन्द्रप्रभ महाराज का श्रमण संघ के आचार्य शिव मुनि से सुबह 9 बजे लाड़वी गांव में मंगल मिलन होगा और लाडवी गांव में दुध डेरी के सामने स्थित सुगनचंद बोल्या आवास पर सामूहिक प्रवचनों का आयोजन होगा।