चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा कि शास्त्र के अंदर अगर ज्ञान प्राप्त होता है तो जीवन मे सम्यग श्रद्धा आती है। जीवन मे जब तक सम्यग श्रद्धा नहीं आएगी तब तक जीवन का उद्धार नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा आने पर मनुष्य परमात्मा की भक्ति में लगता है लेकिन सम्यग श्रद्धा आने पर मनुष्य भक्ति में लीन हो जाता है।
जब तक मानव परमात्मा की भक्ति में लीन नहीं होगा उसका जीवन नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा कि शास्त्र पढ़ने को तो बहुत लोग पड़ते है लेकिन उसके बाद भी मनुष्य में ज्ञान का विकास नहीं हो पाता है। जब तक लोग सही तरीके से शास्त्र का अध्यन नहीं करेंगे उनमें सम्यग श्रद्धा नहीं आ पाएगी। सम्यग श्रद्धा आने के बाद जीवन मे बहुत कुछ अपने आप ही बदलने लगता है।
लोगो को पता भी नहीं चलता और उस ज्ञान और सम्यग श्रद्धा से जीवन ऊंचाइयों पर पहुच जाता है। उन्होंने कहा कि अगर मनुष्य परमात्मा की भक्ति में अपना श्रेष्ठ देने की कोशिश करेगा तो निश्चय ही उसे श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति होगी। मनुष्य के जीवन मे गुरु भगवंतों के प्रभाव से सम्यग ज्ञान और विनय गुण का प्रगटीकरण होता है।
इसलिए गुरु भगवंतों का सानिध्य मिलने पर पीछे नहीं हटना चाहिए। जब हम कुछ देंगे तभी वापस में हमे भी मिलेगा। जब तक बिना दिए लेने की भावना होगी तब तक जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है। जीवन मे कुछ पाने के लिए कुछ खोना अति आवश्यक होता है।
उन्होंने कहा कि जिनकी सिर्फ लेने की भावना होती है वो जहा से शुरू करते हैं वही रह जाते हैं। सम्यग ज्ञान की प्राप्ति के लिए ध्यान देने की जरूरत है। जब तक ध्यान नहीं देंगे ज्ञान में विकास नहीं होगा। ज्ञान चाहिए तो ध्यान देना होगा अन्यथा जीवन उन्हीं समाप्त हो जाएगा। जीवन मे सफल होना है तो सम्यग ज्ञान बढ़ाएं।संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया