विनम्रता, वात्सल्यता, समर्पण की प्रतिमूर्ति थी साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा :- साध्वी लावण्यश्रीजी
तिरुकलीकुड्रम : आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या साध्वी लावण्यश्रीजी के सान्निध्य में असाधारण, शासनमाता साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी की प्रथम वार्षिक पुण्यतिथि पर गुणानुवाद कार्यक्रम जैन भवन में समायोजित किया गया। स्थानीय महिला मंडल ने साध्वी सिद्धांतश्रीजी, साध्वी दर्शितप्रभाजी के साथ मिलकर गीत का संगान कर भावांजली दी। अणुविभा राष्ट्रीय उपाध्यक्षा मालाजी कातरेला तथा अणुव्रत समिति, चेन्नई अध्यक्ष ललित आंचलिया होली के अवसर पर पानी अपव्यय और रंगों का उपयोग न करने का आह्वान किया। व्याख्यान में उपस्थित भाई, बहनों को साध्वीश्री ने त्याग भी करवाया। बैनर का अनावरण भी साध्वीश्री के सान्निध्य में किया गया। तेरापंथ सभा के निवर्तमान अध्यक्ष बाबूलाल खाटेड ने भी अपनी भावना व्यक्त की।
साध्वी लावण्यश्रीजी ने उद्बोधन में शासनमाता की विनम्रता, वात्सल्यता, समर्पण, गुरुभक्ति आदि पर दृष्टांत देते हुए साध्वीप्रमुखा की पुण्यतिथी पर भावांजलि अर्पित की। सुबह 6 से 7 बजे एक घंटे जप का क्रम चला। स्थानीय लोगों ने उपवास, एकासना, तिविहार पच्चखाण, सामायिक पचरंगी मौन की पचरंगी आदि के द्वारा अपनी श्रद्धा समर्पित की। रात्रिकालीन कार्यक्रम के अंतर्गत शासनमाता पर प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम भी रखा गया। सभी अभिभावको ने भाग लिया।
स्वरुप चन्द दाँती
मीडिया प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई
सहमंत्री
अणुव्रत समिति, चेन्नई