चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम जैन मेमोरियल सेन्टर में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ.सुप्रभा ने कहा सुख के दो प्रकार हैं-बाह्य और आभ्यन्तर। बाह्य सुख परिवर्तनशील, क्षणिक और नष्ट होता है जबकि अभ्यन्तरसुख, शाश्वत और आध्यात्मिक।
इसे पाने के लिए पांच बातें आवश्यक हैं-तन में साधना हो, मन में सद्भावना हो व दूसरों के प्रति ईष्र्या-द्वेष न हो, धन में संतोष हो, जीवन में सहिष्णुता हो तथा वचन में सत्यता हो।
इन बातों को जीवन में उतारनेवाला व्यक्ति जीवन में सफल होता है। जिस प्रकार कच्चा घड़ा पानी संचय योग्य नहीं होता है, उसे पक्का करने के बाद ही जल से भर सकते हैं उसी प्रकार मुश्किलों का सामना करने के लिए व्यक्ति को साधना से सामथ्र्य प्राप्त होता है। कभी भी सुखों में अधिक फूलना नहीं चाहिए और दु:खों में घबराना नहीं चाहिए।
भौतिक सुख तो क्षणभंगुर है, आज यह वस्तु सुख देती है कल दूसरी की आवश्यकता हो जाएगी। शाश्वत सुख पाने के लिए जिनवाणी को सुनना चाहिए। यह जीवन एक खेल के समान है, इसे जीत-हार के लिए नहीं आनन्दमय बनाने के लिए खेलना चाहिए।
धन भौतिक सुविधाओं के साथ सदैव असंतुष्टि और बैचेनी ही देगा जबकि धर्म आध्यात्मिक आनन्द देगा जो कभी नष्ट नहीं होता। जीवन में इच्छा तृष्णा और कामनाओं की कमी व्यक्ति को धर्म की ओर ले जाती है। एक बार आध्यात्मिक सुख प्राप्त कर लिया तो जीवन आध्यात्मिक बन जाएगा। ।
धर्मसभा में ललिता चोरडिय़ा, सुमित्रा चोरडिय़ा, कमलादेवी चोरडिय़ा का चातुर्मास समिति ने सम्मान किया। आचार्य आनन्दऋषि के जन्मोत्सव और साध्वी उम्मेदकंवर की पुण्यतिथि पर त्रिदिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत सोमवार को पैंसठिया यंत्र का सामूहिक जाप हुआ।
जाप के बाद ड्रा निकाला और विजेताओं को पुरस्कार दिए। साथ ही ज्ञान संस्कार शिविर हुआ। 30 जुलाई को दया दिवस, तीन सामायिक और 31 को सामूहिक एकासन और गुणानुवाद सभा तथा नेत्र शिविर का आयोजन होगा।