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शांति जाप से जीवन के अंधकार होते हैं दूर: साध्वी सिद्धिसुधा

शांति जाप से जीवन के अंधकार होते हैं दूर: साध्वी सिद्धिसुधा

चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा कि जाप करने के दौरान जितनी भक्ति और प्रसन्नता के साथ शांत रहना आएगा उतना ही जाप सफल होगा। जाप करते समय अगर बगल से भी आवाज आये तो भी ध्यान भटकाना नहीं चाहिए। जितना ध्यान केंद्रित होगा उतना जीवन खुशहाल होगा।

उन्होंने कहा कि परमात्मा के स्पर्श मात्र से जीवन मे शांति का अभाव समाप्त हो जाता है। लेकिन उसके लिए खुद का ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। मनुष्य को ऐसा महसूस करना चाहिए कि उसके रोम रोम में सुमति समाई है। जाप के बाद जीवन मे प्रकाश आना शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि  जाप करते समय मनुष्य की आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है।

परमात्मा से मिलते ही जीवन की सांसारिक भाग दौड़ समाप्त होने लगती है। ऐसा तभी संभव हो पायेगा जब मनुष्य मन, वचन और काया से शांति जाप में परमात्मा के करीब जाने की कोशिश करेगा। मनुष्य जितना परमात्मा के करीब जाएगा सांसारिक दुखो से उतना ही दूर होता जाएगा।

लेकिन उसके लिए परमात्मा के प्रति पूरी तरह से समर्पित होने की जरूरत है। जाप को जीतने सच्चे मन से किया जाएगा उतना ही जीवन मे प्रकाश आता जाएगा। सांसारिक सुखों के लिए मनुष्य ने प्रकाश को अंधकार में बदल दिया है। अब जीवन के कल्याण के लिए अंधकार को प्रकाश में बदलने की जरूरत है।

जब तक आत्मा में प्रकाश नही होगा तब तक जीवन का कल्याण नहीं होगा। कल्याण करना है तो अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ जाना चाहिए।  साध्वी समिति ने कहा कि काफी समय से मनुष्य जिनवाणी सुनते आ रहे हैं पर जो बदलाव होना चाहिए वो नहीं हो पा रहा है।

बहुत सारे ऐसे महापुरुष और सती हुई जिनके जीवन मे एक बार जिनवाणी सुन कर वैराग्य आ गया। वैसे ही सोलह सतियों का जीवन है। उन्होंने एक बार जिनवाणी सुना और जीवन को बदल लिया। उनके जैसा नेक बनने का हमे भी प्रयास करना चाहिए। बदलाव नहीं होने पर खुद का अवलोकन करना चाहिए। जब अवलोकन करेंगे तो कारण का पता चल जाएगा।

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