हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना जी गुरुणी मैया एवं आदि जाना 7 साता पूर्वक विराजमान है। वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं। वह इस प्रकार हैं बंधुओं जैसे शांति चाहिए तो अशांति से बचीये।
अगर आप वाकई में प्रसन्नता और शांति पाना चाहते हैं तो मन को बदले मन की दिशा और परिणामों को बदले जीवन में जो मिले उसे प्रेम से स्वीकार करें। एक व्यक्ति मिठाई की दुकान पर गया और पूछा तुम्हारे यहां सबसे अच्छी मिठाई कौन सी है। हलवाई ने अपने यहां की हर मिठाई को एक दूसरे से अच्छा बताया उसने कहा मैं तो यह जानता हूं कि कौन सी मिठाई सबसे अच्छी है।
महाशय मेरी दुकान की हर मिठाई सबसे अच्छी है हलवाई ने कहा जिंदगी भी एक दुकान की तरह है जिसकी हर चीज अच्छी है जो भी जैसा मिल रहा है। उससे कैसा गिला किसी शिकायत तुम दुखी हो क्योंकि तुम जो चाहते हो पसंद करते हो, वह तुम्हें नहीं मिल पा रहा है।
रहने की कला तो इसमें है जो तुम्हें मिल रहा है उसी को पसंद करना शुरू कर दो ईश्वर वह हमें सब नहीं देता जो हम चाहते हैं। जो ईश्वर ने दिया है हम उसे पसंद करना शुरू कर दे हम सदा ही खुश रहेंगे।सुख और दुख दोनों का सम्मान करो अगर आप अपने मन को इस दिशा में मोड़ने या बदलने में सफल हो जाते हैं तो अपने आप आ जाएगी।
लोग हमारे पास आते और कहते हैं कोई ऐसा मंत्र बताइए जिससे मन को शांति मिले ऐसा मंत्र दुनिया में कोई नहीं है। शांति का एक ही निर्मित से बचने की कोशिश कीजिए अगर आप ऐसा करेंगे तो चारों तरफ शांति जानती है सुख और दुख यह तो दोनों चलते रहते हैं। शांति बनाए तो धर्म आराधना जरूर कीजिए एवं ध्यान से मत हटिये यही सुख का आधार है।
जय जिनेंद्र जय महावीर कांता सिसोदिया भाईंदर