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शांति का स्थान सिर्फ धर्मस्थानक है

शांति का स्थान सिर्फ धर्मस्थानक है

जिनेश्वर देव जिनका वात्सल्य एक एक माता जैसा होता है, इसलिए उनको जगत माता कहा जाता हैl भगवान का उपकार भी अनंत है, आज जगत में तीन जनों के उपकार हैl माता-पिता मालिक सद्गुरु माता-पिता के उपकार हम चुका नहीं सकते पर शुभ कार्य में निमित्त बन सकते हैं।

उनका धर्म के सम्मुख ले जा सकते हैं उनके हाथों से सात कार्य कर सकते हैं। यही अवसर उपकार चुकाने का माता-पिता के उपकार इस भौतिक है तीर्थंकर का उपकार अनंत अनंत जन्म तक होता है। आज अगर तीर्थंकर तीर्थ की स्थापना नहीं करते धर्म चारों ओर ना होता तो आपका वातावरण अंधकार में होता बंधन से मुक्त होने के लिए बहुत अच्छी शिक्षा दी है।

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प्रभु का धर्म जन्म जन्म तक उभरने वाला है संसार एक चक्र है इस चक्र में जो घूम रहा हैl कहीं पर भी स्थिर नहीं हो सकता कोई नरक में गया कोई डी में गया कोई मनुष्य में गया कोई ना कोई दुख तो पाया ही हैl वह तो दुख से उभरने वाले परमात्मा ने हमें जिनवाणी दिए दशना दी है आठ कर्म के बंदर हमारे पीछे लगे हुए हैंl उनसे में छुटकारा पाना है सर्वप्रथम धर्म का आधार लेना सतगुरु के चरणों में जाना हैl जिनवाणी को सुनकर आत्मा को उन्नत बनाना है कोई व्यक्ति समंदर में डूब जाए कदर उसकी पटिया मिल जाएl  पाटीया मैं मैं अगर खिली लगे हो कांटे लगे हो इस धर्म के पटीये को छोड़ना नहीं हैl वैसे ही धर्म करते समय चाहे जितने कष्ट आ जाए चाहे जितनी पैसे आ जाए तो भी इस धर्म के पतियों को छोड़ना नहीं हैl

श्रद्धा पूर्वक एक नवकारसी कर लो जीवन को तार देती है यह धर्म का पता पड़ा हो तो आप सलामत रहोगे नहीं तो एक प्रभाव आएगाl हमें मजेदार में फेंक देगा उसकी खबर भी नहीं पड़ेगी अर्चना रावत जिनकी देवता ने परीक्षा ली थी उसे परीक्षा में पास हो गयाl देवता हमारी परीक्षा लेना चाहता है पर हम पास हुए या नहीं हमें देखना है घर में करते हुए हमें शांति प्राप्त होती है और शांति का स्थान सिर्फ धर्मस्थानक हैl आओ जिनवाणी सुनो शांति को प्राप्त हो जा तो हमारी आत्मा भी उन्नत बनेगी प्रमोद गादियां, यशोदा जी दक इम्तियाज 15 15 उपवास हैl संचालन श्री अशोक की बाटियां जी ने कियाl

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