चिदम्बरम, कडलूर (तमिलनाडु): जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संदेश देते जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ शुक्रवार को कडलूर जिले के चिदम्बरम नगर में पधारे। पचास वर्षों की प्रतीक्षा के उपरान्त अपने आराध्य को अपने घर-आंगन में पाकर हर्षित चिदम्बरमवासियों ने अपने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री नगर स्थित श्री गुरुज्ञान समन्धर मिशन मैट्रिकुलेशन हायर सेकेण्ड्री स्कूल के प्रांगण में पहुंचे।
शुक्रवार को प्रातः आचार्यश्री अपनी अहिंसा यात्रा के साथ लगभग दस किलोमीटर का विहार कर चिदम्बरम की सीमा के पास पधारे तो अपने चिदम्बरमवासी पलक-पांवड़े बिछाए प्रतीक्षारत थे। आज उनके उत्साह और उल्लास को पारावार नहीं था। आखिर पचास वर्षों के इंतजार के उपरान्त उनके आराध्य उन्हें अपने दर्शन और मंगल प्रवचन से तृप्ति प्रदान करने स्वयं उनके घर-आंगन जो पधार रहे थे। आचार्यश्री नगर की सीमा के जैसे ही निकट पहुंचे चिदम्बरमवासियों ने अपने आराध्य का भावभीना अभिनन्दन किया। आचार्यश्री उपस्थित श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते आगे बढ़े। आचार्यश्री नगर स्थित श्री गुरुज्ञान समन्धर मिशन मैट्रिकुलेशन हायर सेकेण्ड्री स्कूल के प्रांगण में पधारे।
विद्यालय परिसर में बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि सरलता, ऋजुता वह तत्त्व है, जिससे शुद्धि हो सकती है और शुद्धि होने के पश्चात् ही व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। जिस व्यक्ति में सरलता होती है, वह अपनी किसी गलती को सहज स्वीकार कर लेता है और सरल मन से उसका प्रायश्चित्त कर लेता है, फिर उसकी आत्मा की विशोधि हो जाती है। आत्मा की विशुद्धि होने आदमी को सहजता के साथ मोक्ष का वरण कर सकता है। जिस प्रकार डाॅक्टर से बीमारी को छिपाया नहीं जाता, उसी प्रकार प्रायश्चित्तदाता से अपनी गलती को नहीं छिपाना चाहिए।
जहां शुद्धता होती है, वहां धर्म होता है और जहां धर्म होता है, वहां निर्वाण की प्राप्ति हो सकती है। जहां सरलता होती है, वहां सच्चाई होती है। सरलता और सच्चाई का जोड़ा है। सच्चाई की साधना के लिए आदमी को हृदय से सरल होना आवश्यक होता है। सच्चाई के मार्ग पर चलने में कठिनाई हो सकती है, किन्तु परिणाम बहुत अच्छा होता है। खरा आदमी खारा लग सकता है, किन्तु वह हितकर हो सकता है। इसलिए आदमी को सरल बनने और सच्चाई के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
चतुर्दशी तिथि होने के कारण आज आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में समस्त चारित्रात्माएं भी उपस्थित थे। आचार्यश्री हाजारी पत्र का वाचन किया। चारित्रात्माओं ने पंक्तिबद्ध और करबद्ध होकर लेखपत्र का उच्चारण किया। इस दौरान आचार्यश्री ने ‘हमारे भाग्य बड़े बलवान’ व आचार्य तुलसी द्वारा यहां आयोजित मर्यादा महोत्सव में गाए हुए गीत का भी आंशिक संगान किया।
इसके पूर्व महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाजी ने भी चिदम्बरमवासियों को पावन प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री ने लोगों को सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) तथा अहिंसा यात्रा के संकल्प प्रदान किए। अपने आराध्य के आगमन से हर्षित श्रद्धालुओं ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज के अध्यक्ष श्री लालचंद चोरड़िया, स्थानकवासी समाज के श्री खींवराज तालेड़ा, श्री माणकचंद छल्लाणी, मूर्तिपूजक समाज के श्री कमलकिशोर तातेड़, श्री संघ समाज की ओर से श्रीमती इन्द्रा कोठारी, श्री नरेश पोकरना ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी।
तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। स्कूल के ओर से श्री श्वेदा कुमार ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी।