*☀️प्रवचन वैभव☀️*
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6️⃣1️⃣
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301)
शल्य रहित
अंतर में प्रभु पधारते हैं.!
302)
वीतराग धर्म की
आराधना से
भाव परिवर्तन
नही हो रहा तो
हमे अपनी रीत का
निरीक्षण करना चाहिए.!
303)
जिसका व्यवहार
कमजोर होता है..
लोक विरुद्ध,शास्त्र विरुद्ध
आज्ञाविरुद्ध हो ऐसे लोगो का
निश्चय भी खोखला ही होता है..!
304)
जिस सुख के
आने से धर्म छूट जाए
आत्मार्थी को ऐसे सुख का.?
305)
इच्छाओं के अंत से
मोक्ष का प्रारंभ होता हैं.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*सूरि जयन्तसेन चरणरज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर