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शरीर और मन स्वतंत्र होना चाहिए: प.पू.सुधा कवर जी म सा

शरीर और मन स्वतंत्र होना चाहिए: प.पू.सुधा कवर जी म सा

कोडमबाक्कम वडपलनी श्री जैन संघ प्रांगण में आज शुक्रवार तारीख 16 सितंबर 2022 को प.पू.सुधा कवर जी म सा आदि ठाणा 5 की निश्रा में सुयशा श्रीजी मसा के मुखारविंद से:-एक चोर हमेशा रात को चोरी करने जाता था और चोरी करने के बाद हमेशा निरीक्षण करता और मन मसोस कर रह जाता कि जितना अपेक्षित था उतना नहीं मिला! एक दिन रात को 3:30 बजे एक बड़े मकान के खुले द्वार को देखकर चोरी करने के इरादे से अंदर चला जाता है! अंदर जाने के बाद मालूम पड़ता है कि यह तो एक संत की कुटिया है! संत जाग जाते हैं और चोर से कहते हैं कि तुम जिस उद्देश्य से आए हो वह तो तुम्हारे को नहीं मिला इसलिए यहां पर बैठ जाओ और 1 घंटे का माला जाप करो!

आग्रह पूर्वक कहने की वजह से और इस समय दूसरी जगह चोरी भी नहीं कर सकते, चोर ने वहां पर बैठकर जाप किया! इतने में वहां के राजा अपने सुरक्षा बल के साथ संत के दर्शनार्थ पधारें! चोर ने समझा उसे पकडाने के लिए साधु ने ही ऐसा किया होगा! कुछ समय बाद राजा ने सोने के सौ सिक्कों की एक थैली संत के पास रख दी और चल दिए! चोर ने सोचा राजा हमेशा ऐसी थैली देते होंगे और संत के पास बहुत माल होगा! तभी संत ने चोर से कहा कि यह थैली हमारे काम की नहीं है तुम इसे ले जाओ!

जैसे उस चोर के लिए जो प्राप्त था वह पर्याप्त नहीं था वैसे ही हमारी जिंदगी में भी जो प्राप्त है वह पर्याप्त नहीं होता! हमारी जिंदगी में “संपूर्ण हमें मिलता नहीं और अपूर्ण हमें स्वीकार्य नहीं”! हमें कोई पूछे आप कैसे हो तो हमें हमेशा एक ही जवाब देना चाहिए कि “सब कुछ बढ़िया है”! परिवार में हम एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं और हम सभी एक दूसरे के पूरक होते हैं! इसका मतलब यह नहीं कि हम पराधीन है! हमारा शरीर और मन स्वतंत्र होना चाहिए! हमारे पास 500 करोड़ की पूंजी है और जरूरत से ज्यादा बैंक बैलेंस है तो भी वह किसी काम का नहीं अगर हमारी जिंदगी 5 घंटे की या 5 दिन की ही बची है तो!

हमारा मन भी खुश रहना चाहिए तभी मानसिक स्वतंत्रता मिलेगी! हमारा मन हमारे हिसाब से चलना चाहिए! हमारे जिंदगी मैं मित्रों की बहुत बड़ी अहमियत होती है! अच्छे मित्र सदा हम से वही बात करेंगे जो हमें अच्छी लगती हो और सुखदायक हो! लेकिन कल्याण मित्र (धर्म) सदा हम से वही बात करेंगे जो हमारे लिए अच्छी हो और हमारे परिवार के लिए भली हो! हितकारी दोस्त और अवसरवादी दोस्त में फर्क जानना और परखना बहुत जरूरी है! दोस्त बनाना बहुत आसान है लेकिन कल्याण मित्र ढूंढना बहुत मुश्किल है!

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