चित्तूर. आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा के संदेशों से आंध्रप्रदेश का सीमावर्ती जिला चित्तूर गुंजायमान हो उठा। चित्तूर के वी. कोटा में स्थित इन्फैंट जीसस इंग्लिश मीडियम हाईस्कूल परिसर में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते आचार्य ने कहा शरीर एक नौका है और जीव नाविक के समान है।
यह संसार एक समुद्र है, जिसे महर्षि लोग तर जाते हैं। इस संसार को समुद्र कहा गया है। आदमी को इस संसार सागर को पार करना है तो आसक्ति से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। आसक्ति की छाया भी आदमी को मूढ़ बना देती है। आसक्ति से मुक्त रहने के का मार्ग धर्माचार्य और संत बताने का प्रयास करते हैं।
आचार्य ने कहा आदमी को आश्रवों से मुक्त जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए चोरी, झूठ, हत्या, हिंसा आदि से बचने का प्रयास करना चाहिए।
अर्हतों की वाणी का अनुपालन और वीतराग प्रभु द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण कर आदमी भव सागर को पार कर सकता है। वीतराग प्रभु द्वारा दिखाए गए मार्ग की अनुपालना से ही मुक्ति की प्राप्ति हो सकती है।
आचार्य के मंगल प्रवचन के पश्चात प्रदीप कुमार बोरड़ (आईएएस) ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।