चेन्नई. किलपॉक श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन मंदिर में विराजित आचार्य तीर्थभद्रसूरीश्वर की निश्रा में रविवार को शक्रस्तव पूजन का अनुष्ठान हुआ। इस अवसर पर मेरुपर्वत की मनमोहक रचना की गई।
आचार्य ने शक्रस्तव पूजन पर रोशनी डालते हुए बताया जब कोई तीर्थंकर भगवान की आत्मा स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक में माता की कुक्षी में प्रवेश करती है तब इन्द्र देव का सिंहासन कंपित होता है और इन्द्र देव अपने ज्ञान से प्रभु का च्यवन जानकर अपने अलंकारों का त्याग कर अपना दांया पैर ऊपर उठाकर प्रभु की स्तुति करते हैं इसलिए शक्रस्तव के नाम से जाना गया।
शुक्र यानी इन्द्र और उनके द्वारा की गई स्तुति यही है शक्रस्तव। नमत्थुणं सूत्र के भाव से लेकर मुनि तीर्थ तिलकविजय ने सरल भाषा में पूजन की रचना की जिसमें आठ प्रकार के द्रव्य से प्रभु की भक्ति की गई। शाम को संध्या भक्ति का आयोजन हुआ। बौदा के कर्णिक भाई ने शास्त्रीय संगीत के साथ प्रभु भक्ति की प्रस्तुति दी।
इस मौके पर संघ के अध्यक्ष नरेन्द्र साकरिया, उपाध्यक्ष पदमचंद चौधरी, सचिव नरेन्द्र श्रीश्रीमाल, प्रवीण भाई, माणकचंद धोका, अरुण ओस्तवाल, दिनेश श्रीश्रीमाल, अमित मरडिय़ा, शिखर कोचर सहित अन्य ट्रस्टियों ने एससी शाह भवन निर्माण के सहयोगियों का सम्मान किया।