चेन्नई. विलीवाक्कम स्थित अमृत जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा मनुष्य को जीवन में सुख शांति के लिए दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। जीवन में सुखी वही होता है जो दूसरों को सुखी देखना चाहता है। उन्होंने कहा ऐसा कोई भी व्यवहार नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को तकलीफ पहुंचे। लोग दूसरों को तकलीफ देने के लिए गलत कार्य करते तो हैं, लेकिन खुद ही तकलीफ में आ जाते हैं। जीवन में आगे जाने के लिए दूसरों के मन को समझते हुए कार्य करने चाहिए।
दूसरों के दिल को दुखी करने वाले कार्याे से दूर रहने वाले ही आगे निकल पाते हैं। उन्होंने कहा यह जीवन मिला है तो अच्छे कार्यो में लग कर इसे और बेहतर करने का प्रयास करें। मन में श्रद्धा रख कर उसी के अनुरूप आगे बढऩे वालों का जीवन बदल जाता है। ऐसे उत्तम जीवन को पाकर कभी भी गलत कार्यो की ओर नहीं बढऩा चाहिए। जीवों के प्रति दया और करुणा भाव रखने वाले मनुष्य को अपने आप ही आनंद और शांति मिलने लगती है।
उन्होंने कहा जो मनुष्य अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करते हैं उन्हें कभी भी तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता। इच्छाओं पर नियंत्रण करना जीवन को बेहतर मार्ग पर ले जाने की चाबी होता है। सभी को एक दिन दुनिया छोड़ कर जाना है। जब तक जीवन है तब तक कुछ बेहतर कर नाम कमा लेना चाहिए। जीवन को हमेशा सत्य के मार्ग पर लगा कर परम पावन बनाने का कार्य करें।
मनुष्य का जीवन उसके व्यवहार पर ही निर्भर होता है इसलिए कभी भी गलत व्यवहार कर जीवन को दुर्गति की ओर नहीं जाने देना चाहिए। सागरमुनि ने भी उद्बोधन दिया। विनयमुनि ने मंगलपाठ सुनाया। विनयमुनि और गौतममुनि बुधवार को यहां से प्रस्थान कर पेरम्बूर जैन स्थानक पहुंचेंगे जहां उनका प्रवचन होगा।