तपस्वीयों का किया अभिनंदन
बेंगलुरु। विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका, ज्योतिष चंद्रिका एवं शासन सिंहनी साध्वीश्री डॉ कुमुदलताजी ने शनिवार को अपने प्रवचन में व्यक्ति को हर समय सजग रहने की सीख दी। सजगता अर्थात सावधानी को विस्तार से उल्लेखित करते हुए साध्वी श्री ने कहा कि व्यक्ति के सजग नहीं रहने पर शारीरिक-भौतिक रूप से तो नुकसान होता ही है, आत्मा में भी पाप कर्मों के बंध का मार्ग खुल जाता है।
स्थानीय वीवी पुरम स्थित महावीर धर्मशाला में गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में साध्वीश्री ने कहा कि संसार में अच्छी चीजें कम तथा असार वस्तुएं अधिक है। डॉ कुमुदलताजी ने भगवान महावीर स्वामी द्वारा साधक के जीवन में पाप और पुण्य संचय के भेदों पर विवेचना करते हुए कहा कि कर्मों का फल हर व्यक्ति को भुगतना ही पड़ता है।
तपस्या को आत्मज्योति बनाने वाला कर्म बताते हुए साध्वीश्रीजी ने कहा कि तपस्या कर्म निर्जरा का प्रमुख साधन है। धर्म सभा में मौन व्रत के साथ 41 उपवास करने वाली श्राविका श्रीमती शांताबाई सुभाषचंद खींवसरा मुथा तथा 31 उपवास के मासखमन की तपस्विनी श्रीमती अनीता जीतेंद्र ओस्तवाल की अनुमोदना की। साध्वीजी ने कहा, तप आत्मा को शुद्ध, पवित्र और निर्मल बनाता है। तपस्वीयों ने स्वयं की कर्म निर्जरा करते हुए अपने परिवार, समाज व समिति का भी गौरव बढ़ाया है।
इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने कहा कि संसार में माया से लड़ना आसान है, मगर काया से लड़ना मुश्किल है। समय के सदुपयोग की प्रेरणा देते हुए महाप्रज्ञा जी ने तपस्या की अनुमोदना की एक गीतिका भी प्रस्तुत की।
साध्वीजी श्री डॉ पद्मकीर्तिजी ने तप के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा तप आत्मा का श्रृंगार होता है। तप को वीरों का आभूषण बताते हुए उन्होंने कहा कि कायर लोग तपस्या नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि तपस्वी के अभिनंदन करने वालों तथा तपस्या की अनुमोदना करने वालों के कर्मों की भी निर्जरा होती है।
साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने स्तवन प्रस्तुत किया। समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि तपस्वियों का स्वर्ण सिक्का प्रदान कर समिति के पदाधिकारियों, युवा शाखा व महिला समिति की टीम ने सम्मान किया।उन्होंने 25 अगस्त को भिक्षु दया के कार्यक्रम तथा 27 अगस्त से शुरु होने वाले पर्युषण पर्व के मद्देनजर विभिन्न सूचनाओ से अवगत कराया।
उन्होंने बताया कि साध्वीवृन्द की प्रेरणा से अष्ट दिवसीय पर्यूषण पर्व के दौरान नवकार मंत्र का अखंड जाप गुरु दिवाकर दरबार में होगा। समिति के सह मंत्री अशोक रांका ने बताया कि धर्म सभा में चेन्नई, पुणे व हैदराबाद सहित शहर के विभिन्न उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि नेमीचंद खींवसरा मुथा, कवि सुखदेव एवं रोशन मुथा ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए। समिति द्वारा आगंतुक अतिथियों का सम्मान किया गया।
वही साध्वीवृन्द ने विभिन्न तपस्याओं के पचकान कराएं। तपस्वीयों के अभिनंदन की श्रंखला में हनुमंतनगर संघ, श्रीरामपुरम संघ व खींवसरा संघ ने भी अपनी अपनी भागीदारी निभाई। अशोक कुमार गाजिया ने संचालन किया। समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नथमल मुथा ने सभी का आभार ज्ञापित किया।