आज विजयनगर स्थानक भवन में विराजीत साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी ने अपने दैनिक विषयों पर आधारित प्रवचनो की श्रृंखला में कहा कि व्यक्ति के विचारों में दया, करुणा व सुंदरता होनी चाहिए। जिसके अंदर सात्विक विचार होते हैं वही आर्यक्षेत्र का श्रावक होता है। यदि संयमीजीवन जीने वाले साधु साध्वी के भी सामायिक में चारित्रता नहीं होती है तो उसे भी शुभफल की प्राप्ति नहीं होती है। उसी के तहत कहा कि हिंसात्मक प्रवृति से किया दान, दान की श्रेणी में नहीं आता है। शुद्ध भावों से किया गया दान का ही फल मिलता है।
साध्वी दीक्षिताश्री जी ने कहा कि व्यक्ति का जैसा स्वभाव होता है उसके कर्म भी उसी अनुरूप होते हैं, जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि, अर्थात जैसा व्यक्ति का नजरिया होगा वैसा ही नजारा होगा। अतः व्यक्ति का मन सुंदर व विचार आकर्षित करने वाले होने चाहिये। अक्सर व्यक्ति दो प्रकार के होते हैं।एक ऊपर से भी सुंदर एव अंदर से भी सुंदर विचारों वाले, दूसरे ऊपर से सुंदर पर अंदर से कुटिल विचारों वाले।ऐसे व्यक्ति से सदैव बच कर रहना चाहिए।
साध्वीश्री प्रतिभाश्री जी की सद्प्रेरणा से आज आचार्य जयमल्ल जी म सा के जन्मदिन पर सिद्धार्थ सरकारी हाई स्कूल के जरूरतमंद बच्चों को स्कूल पाठ्य सामग्री, 71 बच्चों को शूज व बस पास बिस्किट इत्यादि कन्हैया लाल सुराणा विजयनगर द्ववारा वितरित किये गए। इस अवसर पर प्रतिभाश्री जी म सा ने बच्चों को आदर्श जीवन जीने हेतु प्रेरणा दी एवं शाकाहारी भोजन की विशेषताओं के बारे में समझाया तथा बच्चों को बताया कि मानव सेवा व ज्ञानदान सबसे उत्कृष्ठ सेवा है। सिद्धार्थ स्कूल के अध्यापकों द्ववारा महासतीजी के प्रति स्कूल पधारने की अनुकंपा करने हेतु बहुत आभार प्रकट कर गुरुवंदना द्ववारा सम्मान किया गया तथा साथ ही कन्हैया लाल सुराणा का सम्मान हार पहनाकर किया गया।