चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा के सानिध्य में चल रहे नवग्रह शांति जाप के तहत शनिवार को मुनिसुब्रतस्वामी का जाप हुआ। सिद्धिसुधा ने कहा कि परमपिता परमात्मा मुनिसुब्रतवामी का जाप करते समय भीतरी मन को बिल्कुल शांत किया जाना चाहिए।
ऐसा करने पर जीवन के दुख और संकट अपने आप ही दूर हो जाएंगे। जाप के समय मनुष्य अगर खुद को परमात्मा के करीब मानेगा तो निश्चय ही करीब हो जाएगा। जिस आस्था के साथ जाप की जाएगी वो पूरी होती चली जायेगी।
उन्होंने कहा की सम्पूर्ण शरीर मे परमात्मा की दी हुई ऊर्जा को महसूस कर बढ़ाने के लिए जाप किया जाता है। उनके अनंत कृपा के लिए मनुष्य में कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। साध्वी सुविधि ने कहा हर किसी के जीवन में ऐसा समय आता है कि लोगो को लगता है कि वो संसार को त्याग कर वैराग्य लेले।
लेकिन फिर वो मन का भाव बदल जाता है। लेकिन कुछ शुध्द आत्मा वैराग्य को तुरंत लेकर संसार को त्यागने को तैयार हो जाती हैं। संसार का सुख तो आता जाता रहेगा लेकिन आत्मा का सुख आकर कभी नहीं जाएगा। इसलिए मनुष्य को जब भी वैराग्य का मौका मिले तो तुरंत उस मार्ग पर बढ़ जाना चाहिए। ऐसा ही सोलह सतियों का जीवन चारित्र है।
वैराग्य आते ही उन लोगो ने संसार की हर सुख शांति को त्याग दिया था। ऐसी कोई खुसी नहीं थी जो सतियों के जीवन मे नहीं था। लेकिन धर्म के प्रति सच्ची लगन की वजह से वैराग्य लेकर मोक्ष के मार्ग पर बढ़ गए। उन्होंने कहा कि सतियों का चारित्र सुन कर उनके जैसा बनने का प्रयास करना चाहिए। जीवन मे आगे जाना है तो उनके जैसा भाव उत्पन्न कर लेना चाहिए।
सांसारिक सुखों से भी कीमती आत्मा का सुख होता है। पितूअमावस्या कालसर्प अनुष्ठान का आयोजन सम्पन्न हूआ ,कार्यक्रम मे अध्यक्ष आनंद मल छलाणी उपाध्यक्ष सुरेश उपाध्यक्ष सुरेश कोठारी जेपी ललवानी संघटन मंत्री वी गौतम चंद दुगगड समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।