साध्वी आनन्द प्रभा ने कहा इच्छाओं का निरोध करना ही तप का परिपालन है। जिस प्रकार आकाश अनंत और विशाल है उसी प्रकार इच्छाएं अनंत हैं। इच्छाओं के बीच मानव जीवन यात्रा करता है। मनुष्य ही व्रत नियम और तपस्या कर सकता है। देवता व्रत नियम और तप नहीं कर सकते हैं। पशु का कोई लक्ष्य नहीं होता उसे उसका मालिक जो देता है उतना खा लेता है। किंतु मानव सोच विचार करके कुछ भी कर सकता है।
तप की बड़ी महिमा है तपस्वी की अनुमोदना करना व कराने का समान फल प्राप्त होता है। तपस्या की पूर्णता देव, गुरु और धर्म की कृपा पर आधारित होती है। तप की अनुमोदना करने से जिन शासन की प्रभावना होती है और अनेक लोगों को प्रेरणा मिलती है। तप करने के लिए द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की आवश्यकता होती है यह जानकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश चंद बडोला ने दी।
इस कार्यक्रम में साध्वी चंदनबाला साध्वी डॉक्टर चंद्रप्रभा साध्वी विनीत रूप प्रज्ञा भी शामिल थेl इस धर्म सभा में भी से 15 के उपवास लेकर नीलम दक उनकी पुत्री डॉक्टर प्रेरणा दक भीम से 10 की तपस्या लेकर पधारी संघ ने उनका बहुमान और स्वागत किया एवं आमेट निवास कैलाश खाब्या की सुपुत्री डॉक्टर निधि खाब्या के भी 9 के उपवास के प्रत्यक्षण लिए। सभी ने श्री संघ से सभी का स्वागत सत्कार किया
महिला मंडल ने तपस्या की बोली लेकर बहन नीलम को चुनरी उड़ाई एवं डॉक्टर प्रेरणा व डॉक्टर निधि को शाल माला से स्वागत किया। इस धर्म सभा का संचालन सुरेश दक ने किया