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वीतराग मार्ग के साधक शिरोमणि हैं आचार्य श्री हीरा: कपिल मुनि

वीतराग मार्ग के साधक शिरोमणि हैं आचार्य श्री हीरा: कपिल मुनि

चेन्नई : यहाँ विरुगमबाक्कम   स्थित  एमएपी भवन में चातुर्मासार्थ विराजित क्रांतिकारी संत श्री कपिल मुनि जी म.सा. के सानिध्य व श्री एस. एस.जैन संघ विरुगमबाक्कम के तत्वावधान में शनिवार को कर्णाटक केसरी घोर तपस्वी श्री गणेशीलाल जी म.सा. का 140 वां जन्म दिवस और आचार्य प्रवर श्री हीराचंद्र जी म.सा. का 57 वां दीक्षा दिवस जप तप की आराधना व सामुहिक सामायिक साधना के साथ समारोह पूर्वक मनाया गया ।

इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रावक श्राविकाओं ने एकासन, उपवास आदि तप आराधना करके महापुरुषों के प्रति श्रद्धा भक्ति का परिचय प्रस्तुत किया । श्री कपिल मुनि जी म.सा. ने अपने उद्बोधन में कहा कि कर्णाटक केसरी गणेशीलाल जी म.सा. महान व्यक्तित्व के धनी थे ।

उन्होंने जनमानस में व्याप्त मिथ्यात्व के अंधकार को दूर करके सम्यक्त्व के प्रकाश से अंतर्मन को आलोकित किया । और धर्म का विशुद्ध स्वरुप समझाकर जन जन को धर्म से जोड़ने का महान उपकार किया । उनका प्रारंभिक जीवन बहुत ही संघर्ष के दौर से गुजरा उनहोंने कभी भी सिद्धान्तों के साथ समझोता नहीं किया ।

उनके मन में संकल्प के प्रति दृढ़ता और लक्ष्य के प्रति समर्पण गजब का था ।उनके उत्कृष्ट तप त्याग के समक्ष मनुष्य तो क्या देव शक्ति भी नत मस्तक होती थी । मुनि श्री ने आचार्य श्री हीराचंद्र जी म.सा. के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य भगवंत श्री हीरा वीतराग मार्ग के साधक शिरोमणि हैं ।

वे ज्ञान दर्शन और चारित्र के अप्रमत्त साधक हैं । उनका बाहरी व्यक्तित्व जितना मनोहारी है उतना ही उनका अंतकरण आकर्षक और प्रेरणास्पद है । उन्होंने आज से 57 वर्ष पूर्व संसार की असारता और जीवन की नश्वरता का बोध प्राप्त करके यौवन में राजस्थान के जोधपुर जिलान्तर्गत पीपाड़ में आचार्यश्री हस्तीमल जी म.सा. के मुखारविंद से जैन भागवती दीक्षा अंगीकार की ।

सतत ज्ञान ध्यान की साधना में लीन होकर आपने भीतर ऐसी योग्यता का निर्माण किया कि आज आप श्री आचार्य पद को सुशोभित करते हुए जिनशासन की महती प्रभावना कर रहे हैं । आचार्य श्री ने अनेक पथ विचलित युवाओं को सन्मार्ग पर लगाकर जीने की वास्तविक कला का बोध कराया है ।

आप अपने सानिध्य में समागत श्रद्धालु को व्रत प्रत्याख्यान की प्रेरणा देकर धर्म के मर्म को समझाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं । आचार्य श्री हीरा जिनशासन के सच्चे कोहिनूर हैं ।

उनकी वाणी में ओज़ और संयम का तेज स्पष्ट झलकता है । जहाँ भी आपके चरण पड़ते हैं वहां का जनमानस आपके व्यक्तित्व का कायल हुए बगैर नहीं रहता । इस मौके पर अनेक श्रद्धालुओं ने एकासन, आयंबिल और उपवास की तपस्या अंगीकार की । इस मौके पर डॉ उत्तमचंद गोठी, पारसमल नाहर, प्रवीण ललवानी, नोरतीबाई आंचलिया, कमला गादिया ने भी महापुरुषों के गुणगान किये।

इस मौके पर  मोहनलाल चोरडिया, पन्नालाल बैद, रिखबचंद बोहरा, किशनलाल खाबिया, मीठालाल पगारिया, प्रकाशचंद बोहरा, राजकुमार कोठारी महावीरचंद श्री श्रीमाल, पदमचंद कांकरिया, महेन्द्र कुमार बैद, अशोक छाजेड, राकेश बोहरा, जैन कॉन्फ्रेंस तमिलनाडु की महिला शाखा अध्यक्ष ललिता जांगड़ा, सरोज कोठारी, अरुणा बैद, तारा गोलेछा आदि गणमान्य व्यक्ति सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद थे ।

अध्यक्ष प्रकाशचंद गोलेछा, समिति संयोजक नेमीचंद लोढा ने आगंतुक अतिथियों का सत्कार किया । कार्यक्रम का संचालन संघ मंत्री महावीरचंद पगारिया ने किया ।

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