चेन्नई. किसी जिज्ञासु ने प्रश्न किया वीतराग भगवंत की भक्ति करने से क्या लाभ होता है? गुरुदेव प्रवर्तक अमर मुनि फरमाते कि- वीतराग महापुरुषों की वीतरागता भक्ति करने से वीतरागता की प्राप्ति होती है। लोगस्स, जप साधना वीतरागता प्रदान करने वाली है।
यह विचार डॉ. वरुण मुनि ने जैन भवन, साहुकारपेट में प्रवचन करते देते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा रविवार की प्रवचन समा में आचार्य सम्राट डॉ. शिव मुनि के पावन जन्मोत्सव पर लोगस्स जप अनुष्ठान का विशेष आयोजन किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस लोगस्स जाप में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव से लेकर अंतिम तीर्थंकर प्रभु महावीर तक 24 ही वीतराग तीर्थंकर भगवन्तों का पावन नाम एवं गुण स्मरण किया गया है। उन्होंने बताया जो द्वेषी का ध्यान करता है, वह द्वेषी बन जाता है। जो रागी का ध्यान करता है, वह रागी बन जाता है और जो वीतरागी का ध्यान करता है, वह एक दिन वीतरागी बन जाता है।
उन्होंने कहा आचार्य भगवन डॉ. शिव मुनि वीतराग सामायिक एवं आत्म ध्यान साधना द्वारा भव्य आत्माओं को वीतरागता की ओर प्रेरित कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले 35 वर्षों से आचार्य भगवन वर्षीतप की आराधना भी कर रहे हैं। धर्म संघ श्रमण संघ के सर्वोच्च पद ‘युग प्रधान आचार्य सम्राट’ जैसे बेहद जिम्मेदारी व जवाबदारी भरे पद पर होते हुए भी एक दिन उपवास व एक दिन पारणा (भोजन), ऐसे निरंतर 35 वर्षों तक तप-त्याग की साधना व ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की आराधना आत्मलक्षी हर साधक साधिका के लिए प्रेरणा स्रोत है।
श्रीसंघ के कोषाध्यक्ष विजयराज दुगड़, पृथ्वीराज नाहर, सुरेश कांकलिया ने बताया रविवार प्रात: ठीक 9.15 बजे महामंगलकारी अनुष्ठान प्रारंभ होगा और 10.30 पर श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि द्वारा मंगल पाठ के साथ धर्मसभा का समापन होगा। इस दिन सामूहिक सामायिक व्रत की आराधना भी अधिक से अधिक संख्या में की जाएगी। प्रवचन सभा में राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों से भी श्रद्धालु गुरु भक्त पधारे।