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विसर्जन के प्रतिक थे गणाधिपति तुलसी : मुनि रश्मिकुमार

विसर्जन के प्रतिक थे गणाधिपति तुलसी : मुनि रश्मिकुमार

महिला मण्डल द्वारा विसर्जन दिवस का आयोजन

Sagevaani.com /तिरुप्पुर: अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में तिरुपुर महिला मंडल की आयोजना में गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी के 28 वें महाप्रयाण दिवस को ‘विसर्जन दिवस’ के रूप में मुनिश्री रश्मिकुमारजी ठाणा- 2 के सानिध्य में तेरापंथ भवन, तिरुप्पुर में मनाया गया।

 कार्यक्रम का प्रारंभ तुलसी अष्टम से किया गया। महिला मंडल की बहनों द्वारा प्रेरणा गीत का संगान किया गया। सभी भाई -बहनों द्वारा सामूहिक जप किया गया। अध्यक्षा श्रीमती नीता सिंघवी ने सभी का स्वागत किया।

 मुनिश्री प्रियांशुकुमारजी ने कहा कि विसर्जन केवल पद का नहीं होता, अपनी बुराइयों का त्याग करना, मस्तिष्क में चल रहे बुरे विचारों को छोड़ना भी विसर्जन ही कहलाता है। आचार्य तुलसी ने अपने जीवन में अनेक इतिहास गढ़े।

 मुनिश्री रश्मिकुमारजी ने कहा कि गणाधिपति पूज्य गुरुदेव तुलसी स्वयं विसर्जन के प्रतीक थे। उन्होंने अपने जीवन में आचार्य पद का विसर्जन कर समाज के सामने बहुमूल्य उदाहरण पेश किया। विसर्जन के अनेक रूप है- हमें अपनी बुराइयों का, कषायों का, ममत्व का विसर्जन करना है। हमें अपने अनासक्ति के भावों को लाना है और अपनी चेतना का विकास करना है। मनुष्य ने कहा हमेशा श्लेष्मा की मक्खी नहीं, शक्कर की मक्खी बनना है। कार्यक्रम का कुशल संचालन व आभार ज्ञापन मंत्री प्रीति भंडारी ने किया।

समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

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