Share This Post

ज्ञान वाणी

विश्व कल्याण की भावना से करें पर्व की आराधना: साध्वी धर्मप्रभा

विश्व कल्याण की भावना से करें पर्व की आराधना: साध्वी धर्मप्रभा
एसएस जैन संघ एमकेबी नगर स्थानक में विराजित साध्वी धर्मप्रभा ने कहा कि यह पर्व साधना की उत्कृष्ट स्थिति का ज्ञान कराता है। यह उत्तम मांगलिक और आत्मशुद्धि की उपासना का संदेश देता है।

आत्मा को राग से वीरागता, क्रोध से क्षमा, द्वेष से स्नेह, मान से विनय, माया से सरलता ,लोभ से संतोष और विषमता से समता की ओर अग्रसर करने वाला पर्व है। भावों की निर्मलता और विश्व कल्याण की भावना से पर्व की आराधना करें। सभी प्राणियों के सुख और कल्याण की कामना करें।

उदारता, कोमलता और सहिष्णुता के भावों से हृदय को स्वच्छ करे तभी पर्व मनाना सार्थक होगा। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि दूसरों के गुण-दोष पर ध्यान न देकर खुद अपनी आलोचना करना, अपने गुण दोषों पर ध्यान देना ही लाभकारी है।

साध्वी स्नेह प्रभा ने कहा कि सच्ची मैत्री वो होती है जिसमें छोटा -बड़ा, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर का कोई भेदभाव नहीं होता। विपदा की घड़ी में भी जो साथ न छोड़े वो सच्चा मित्र होता है। नहीं तो सुख समृद्धि के समय दुर्जन भी मित्र बन जाते हैं। सच्चा मित्र वह होता है जो अपने मित्र को पाप कर्म से हटाता है। हित की योजना बनाता है।

छिपाने योग्य बातें छिपाता है और आपत्ति के समय अपने मित्र का साथ नहीं छोड़ता है। माया रूपी कषाय मित्रता की शत्रु है माया या कपट की भावना मन में आ जाती है तो वो सबसे प्रथम मित्रता पर घात करती है।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar