चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि के सानिध्य में रविवार को सर्व सिद्धि प्रदायक भक्तामर स्तोत्र जप अनुष्ठान हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। जप अनुष्ठान के बारे मुनि ने बताया कि जप जीवन की अनमोल निधि है।
जप से पवित्र आभामंडल का निर्माण होता है जो कि व्यक्ति के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। प्रतिदिन नियमित रूप से चेतना की विशुद्धतम अवस्था को प्राप्त परमात्मा को नमन और उनके सद्गुणों का स्मरण करने से नमस्कार पुण्य का लाभ अर्जित होता है जिससे व्यक्ति की आंतरिक और बाहरी समृद्धि का विस्तार होता है।
मुनि ने प्रवचन में कहा जिन्दगी में क्रांति और चेतना के रूपांतरण के श्रेष्ठतम विकल्प है – संत समागम और वीतराग वाणी का श्रवण। संत समागम से जीवन जीने की समुचित कला का ज्ञान मिलता है। आध्यात्मिक बल को प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है। संसार में शक्ति के जितने भी रूप हैं चाहे वह धन बल, जन बल ,सत्ता बल, बाहुबल हो।
एक आध्यात्मिक बल के समक्ष सारे बल तुच्छ और नगण्य हैं इसलिए जीवन का उद्देश्य आध्यात्मिक बल बढ़ाने का होना चाहिए। इसके अभाव अन्य बल परेशानी का सबब भी बन सकते हैं। वर्तमान दौर में हमारे सच्चे मित्र देव गुरु धर्म ही हो सकते हैं। जो विपत्ति में सहारा और सुरक्षा कवच बनते हैं। मित्र की परिभाषा यही है जो विपत्ति काल में संरक्षण प्रदान करे।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में धर्म का सहारा बहुत ही आवश्यक हो गया है। धर्म को अपनाये बगैर अपनी खैर नहीं। कर्म के उदय को निष्फल बनाने के लिए धर्म की शरण में जाने के सिवाय अन्य कोई विकल्प नहीं है। धर्म आराधना के लिए किसी मुहूर्त विशेष या आयु-अवस्था का इंतजार करना समझदारी का प्रमाण नहीं है।
यदि जीवन में हित, सुख और आरोग्य का वरदान चाहते हो तो पुण्य और धर्म के पथ पर बढऩे का पुरुषार्थ करो। संघ के अध्यक्ष अमरचंद छाजेड़ ने बताया कि 10 अगस्त को आचार्य आनन्दऋषि का 119वां व उपाध्याय केवल मुनि का 106वां जन्म दिवस जप तप की साधना एवं एकासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संघमंत्री राजकुमार कोठारी ने कार्यक्रम का सचालन किया।