माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में पिछले रविवार को दीक्षित साधु – साध्वीयों को बड़ी दीक्षा प्रदान करते हुए दीक्षा प्रदाता आचार्य श्री महाश्रमण ने बोध पाठ देते हुए कहा कि यह संयम रत्न जो प्राप्त हुआ है, उसकी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें, विनयवान रहे| विनय से विकास होता हैं| बड़े है, पूजनीय है, उनके प्रति विनय, अनुशासन का सम्मान होना चाहिए| गुरु ने कहा है, उसका तो सम्मान करना ही है, रत्नाधिक का भी सम्मान होना चाहिए| यथाविधि वन्दना हो| वन्दना से कर्म निर्जरा हो, पुण्य का बंध होता हैं| नीच गोत्र का क्षय हो, उच्च गौत्र का बन्ध होता हैं| जैन श्वेतांबर तेरापंथ का सिद्धांत है कि पुण्य का स्वतंत्र बन्ध नहीं होता, धर्म, निर्जरा से ही पुण्य का बंध होता हैं|
आचार निन्नाणवें और ज्ञान एक रुपया
आचार्य श्री ने आगे कहा कि विनय से विद्या शोभित होती हैं| बौद्धिक विकास के साथ विनय भाव भी रहे| जीवन में श्रृत का विकास हो, नवदीक्षितों के लिए बना हुआ, दशवैकालिक आगम को कंठस्थ करें| श्रृत का, वृक्तत्व कला का विकास हो| तपस्या भी करें| नवदीक्षित को वर्ष भर में, 30-32 उपवास करने विधान हैं| नवदीक्षित आचार, समिति, गुप्ति के प्रति जागरूक रहें| आचार का सम्यक् पालन हो| तिन्नाणं – तारयाणं की साधना करें| जीवन में आत्मिक आनन्द हो| साधु, जो संयम में रम जाता हैं, तो देवलोक के समान जीवन हो जाता हैं| ज्ञान के साथ आचार को देखें| आचार निन्नाणवें रुपये के समान और ज्ञान एक रुपये के समान हैं| हमारा आचार अच्छा तो बेड़ा पार| नवदीक्षितों के जीवन में इन सब बातों का विकास अपेक्षित हैं|
ठाणं सूत्र के छठे स्थान के इकसठवें सूत्र का विवेचन करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि छह प्रकार के अवग्रह की मति बताई गई हैं| आदमी के पास बुद्धि की शक्ति होती हैं| ऐसा कोई प्राणी नहीं, जिसके पास बोध न हो, ज्ञान न हो| हर प्राणी, चाहे वो एकेन्द्रिय हो या पंचेन्द्रिय, सब में कुछ न कुछ ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपक्षम होता होता हैं| यदि ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपक्षम न हो, तो जीव, अजीव बन जाता हैं| जिसके पास बुद्धि हैं, उसके पास बल होता हैं| बुद्धि एक उपलब्धि हैं| मैं तो बुद्धि का समर्थक हूँ, उसको महत्व देता हूँ| बुद्धिमान आदमी बढ़िया काम कर सकता हैं| बुद्धि इतनी पटु हो सकती हैं कि आदमी एक साथ अनेक चीजें ग्रहण कर सकता हैं| बुद्धि कुशाग्र हो, उसका विकास हो, सम्यक् उपयोग हो| बुद्धि जिन धर्म सेवन के उपयोग में हो|
इससे पूर्व नवदीक्षितों को आज आठवें दिन सामायिक चारित्र से छेदोपस्थापनिय चारित्र का प्रत्याख्यान करवाते हुए, पांच महाव्रतों एवं छठे रात्रि भोजन विरमण व्रत के बारे में खोल खोल कर तीन करण तीन योग से त्याग प्रत्याख्यान करवाया| सभी साधु साध्वीयों ने सरल ह्रदय हो अतीत की आलोयणा कर प्रत्याख्यानों को स्वीकार किया|
बड़ी दीक्षा के शुभ अवसर पर नव दीक्षित मुनि अनिकेतकुमार जी, मुनि कौशलकुमार जी, मुनि शुभम् कुमार जी एवं नव दीक्षित समणी आदित्यप्रज्ञा ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। नव दीक्षित समणीवृन्द ने समूह गीत से भावों की प्रस्तुति दी। दीक्षित 11 साध्वीयों ने अपने भावों की अलग अलग प्रस्तुति दी। सभी नव दीक्षित साधु साध्वियों एवं समीणी वृन्द ने गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा की आपने हमें नया जन्म दे, हमारे जीवन का उत्थान किया है।
सुराणा को दिया गया प्रेक्षा, सेवा, संस्कार पुरस्कार
तेरापंथ सभा, चेन्नई द्वारा वरिष्ठ उपासकजी श्रीमान् जयन्तीलालजी सुराणा को 2018 का श्रीमती चन्द्रादेवी डागा प्रेक्षा सेवा संस्कार पुरस्कार सभा अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ एवं पदाधिकारीयों ने प्रदान किया| पुरस्कार चयन समिति के संयोजन श्री ललित दुगड़ ने प्रशस्ति पत्र का वाचन किया| पुरस्कार प्राप्तकर्ता श्री सुराणा ने सरल ह्रदय हो पुज्य प्रवर के प्रति अपने परिवार के प्रति अनुकंपा के लिए कृतज्ञता ज्ञापित की| सभा के इस सम्मान को स्वीकार कर, अपनी तरफ से ज्ञानशाला के लिए अनुदान दिया|
सम्मान समारोह समायोजित
परमाराध्य आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में चेन्नई चातुर्मास में अतुलनीय योगदान देने वाले कार्यकर्ताओं एवं दानदाताओं का आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति द्वारा अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ ने सम्मानित किया| प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ के बहुमूल्य प्रतिभा के साथ, सभी को साथ में लेकर चलने की कला की सराहना करते हुए तेरापंथ सभा, प्रवास व्यवस्था एवं संघीय संस्थाओं की ओर से श्री लूंकड़ का सम्मान किया गया| सम्मान कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ सभा मंत्री श्री विमल चिप्पड़ ने किया|
किशोर मंडल की मनमोहक प्रस्तुति
पूरे चातुर्मास काल में हर उपयुक्त व्यवस्थाओं में अपना योगदान के साथ त्याग – तपस्या में भी आगे रहने वाले किशोर मंडल के सदस्यों ने आचार्य प्रवर एवं साधुओं के संक्षिप्त जीवंत झाँकी प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया| पुरा महाश्रमण समवसरण ऊँ अर्हम् की ध्वनि के साथ गुंजायमान हो गया| सामूहिक गीतिका के संगान के बाद किशोरों ने पुरे चातुर्मासकाल में, किसी भी तरह की, कोई भी अवज्ञा, अवहेलना के लिए क्षमा याचना की|
ज्ञानशाला की ज्ञानार्थी हिमानी आच्छा ने संस्कृत भाषा में धाराप्रवाह प्रस्तुत कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया| ज्ञानार्थी नीमित बाफणा, ईशान बोहरा, चातुर्मास व्यवस्था समिति के उपाध्यक्ष श्री राजेश कोठारी, अशोक बोहरा ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी| साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कालू यशोविलास का वाचन किया| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार ने किया|
✍ प्रचार प्रसार विभाग
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई
स्वरूप चन्द दाँती
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति