दिनांक 2 अप्रैल 2025 को स्वाध्याय भवन,साहूकारपेट में विनयमुनिजी भीम के महाप्रयाण हो जाने पर गुणानुवाद किये गए | स्वाध्यायी श्रद्धालुओं के द्वारा स्तुति की गई |
आर नरेन्द्र कांकरिया ने विनयमुनिजी भीम का जीवन परिचय पर प्रकाश करते हुए कहा कि गाजु ग्राम,कुचेरा, राजस्थान के मूल निवासी श्री रामचंद्रसिंहजी-सज्जनकवरजी आपके पिता व माता थे | इंदौर में जन्म लेने वाले आपका सांसारिक नाम नारायणसिंह था | ब्रजलालजी म.सा व मिश्रीमलजी ‘मधुकर’ मुनिजी [ श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य ] आपके दीक्षा गुरु रहें व सत्रह वर्ष की वय में नोखा चांदावता राजस्थान में दीक्षित विनयमुनिजी भीम ने 53 वर्षों तक संयम साधना की | श्रमण संघ में उपप्रवर्तक पद व सलाहकार पद का बखूबी निर्वहन किया | सरल स्वभावी संत रत्न ने चेन्नई में साहूकारपेट आवडी आदि क्षेत्रों में चातुर्मास किये |
राजस्थान दिल्ली पंजाब हरियाणा महाराष्ट्र गुजरात उतरप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु आंध्रप्रदेश मध्यप्रदेश आदि पन्द्रह राज्यों में विहार विचरण व चातुर्मास करते हुए जिनशासन की प्रभावना करने वाले सन्त के महाप्रयाण से श्रमण संघ सन्तगण व जिनशासन में बडी क्षति हुई हैं |
उपस्थित स्वाध्यायी बन्धुवरों ने चार लोगस्स का ध्यान करते हुए श्रद्धा सुमन रुपी गुणानुवाद किये | धर्मसभा में उच्छबराजजी गांग, रुपराजजी सेठिया, आर वीरेन्द्रजी कांकरिया, कांतिलालजी तातेड़, गौतमचन्दजी मुणोत, अम्बालालजी कर्णावट, दीपकजी श्रीश्रीमाल, बाबू धनपतराजजी सुराणा, लीलमचन्दजी बागमार, इंदरचंदजी कर्णावट की सामायिक परिवेश में उपस्थिति रही | वीरपिता बाबू धनपतराजजी सुराणा ने मांगलिक सुनाई |
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स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, 24/25 – बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट, चेन्नई -तमिलनाडु