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विधि से नहीं भाव से करें वंदना: साध्वी सिद्धिसुधा

विधि से नहीं भाव से करें वंदना: साध्वी सिद्धिसुधा

चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा मनुष्य अपनी कमाई का लेखा-जोखा तो करता है लेकिन कितना पाप किया है उसका लेखा-जोखा नहीं करता। ज्ञानी लोग पुण्य और पाप का लेखा-जोखा करते हैं।

अगर पुण्य की तुलना में पाप ज्यादा है तो उसे बैलेन्स करने की कोशिश करते हैं। जब तक पाप के बारे में ठीक से नहीं जानेंगे तब तक पाप होता रहेगा। जीवन मिला है तो उसको जीने का तरीका आना चाहिए। साध्वी समिति ने कहा परमात्मा ने जगत के जीवों के लिए मुक्तिका मार्ग धर्म का मार्ग बताया है। सही भाव से की गई वंदना जीव को नीचे से ऊपर उठाने का काम करती है।

मनुष्य को धर्म के कार्य में थोड़ा भी विलंब नहीं करना चाहिए। पाप के कार्य करने में जितना विलंब होगा उतना करलो पर धर्म के कार्यो में विलंब नहीं होना चाहिए। याद रहे कोई भी कार्य करने से पहले उस पर विचार करना चाहिए। विनय और नम्रता का भाव आने पर गुरु को वंदन करना सही तरीका होता है।

कितना भी विधि पूर्वक वंदन कर लिया जाए अगर भाव नहीं दिखेगा तो उसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। मन में अहो भाव से वंदन करना चाहिए। संघ द्वारा आचार्य रूपमुनि की प्रथम पुण्यतिथि पर बाल स्कूल में भोजन और जरूरत का सामान वितरित किया गया।

रविवार दोपहर को शेयर बाजार प्रतियोगिता का आयोजन होगा। धर्म धर्मसभा में अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, श्रेणिक बोहरा, वी गौतमचंद दुगड उपस्थित थे।

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