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विदाई एवं बहुमान समारोह

विदाई एवं बहुमान समारोह

श्री एस एस जैन ट्रस्ट, रायपुरम द्वारा पुज्य जयतिलक जी म.सा का चातुर्मास विदाई समारोह रविवार 6-11-2022 सुबह 9.30 जैन भवन रायपुरम में आयोजित किया गया। चातुर्मास मे जाप करने वाले, पुछिसुनम वाले, 4 मास एकासन / एकांतर/ शिविर क्लास मे सामायिक, प्रतिकमण, पच्चीस बोल, आगम आदि सीखने वाले एवं शिविर के टीचर, और चातुर्मास में सेवा देने वाले ज्ञान युवक मंडल एवं चंदन बाला महिला मंडल का बहुमान अध्यक्ष पारसमल कोठारी, मंत्री नरेंद्र मरलेचा, उपाध्यक्ष अशोक खटोड़, कोषाध्यक्ष धनराज कोठारी, व सह मंत्री गौतमचंद खटोड़ ने किया।

गुरुदेव ने प्रवचन में बताया कि मनुष्य जन्म महत्वपूर्ण है जिसका उपयोग सद्कार्यो में करें। यदि दुरुपयोग करता है उसका जीवन निरर्थक होता है! मानव जीवन का सदुपयोग करना हर मानव का कर्तव्य है। हर मानव अच्छा बुरा सब कुछ जानता है जानकार भी यदि बुरे कार्य करे तो उसे मनुष्य जीवन रुपी चिंतामणी रत्न व्यर्थ में खो देता है! दूसरों की भलाई में स्वयं की भलाई है। व्यक्ति जानकर अकरणीय करता है यह मनुष्य की बहुत बड़ी बिम्बना है! समझदार व्यक्ती मानव देह का सदुपयोग करेगा, सद्‌कार्य करेगा! मन वचन काया का दुरुपयोग कर आनन्द मनाना कर्मबंध का कारण है। यदि कर भला तो हो भला। “जैसा बोओगे वैसा ही पाओगे” जैसे मंदिर का हाथी जिसे कुछ खिलाने पर वह आर्शीवाद देता है। यदि हाथी जैसा प्राणी भी शिक्षित हो सकता है निलगरी के हाथियों ऐसा प्रशिक्षित किया गया है कि सुर्यास्त होने पर गणेश जी की पूजा अर्चना करना और कतारबद्ध खड़े रहते है! जब हाथी भी शिक्षित हो सकता है! बच्चे भी स्कूल में शिक्षित हो सकते तो क्या आप श्रावक सूज्ञजनो को भी विवेक होना चाहिए । धर्म स्थान में कतारबद्ध बैठे ! धर्म सभा के नियमों का पालन करें।

रत्नागिरी में एक हाथी को एक व्यक्ती ने चुना भर कर नारियल खीला दिया। एक वर्ष पश्चात फिर वहीं व्यक्ति आया तो हाथी ने उसे सूंड में पकड़कर पछाड़ दिया और वहीं नारियल उस पर थुक दिया। बुराई का फल उस व्यक्ती को मिल गया। इसी तरह जीव इस भव में नही तो अगले भव में वह कर्मों को भोगना पड़ता है। बुराई अकल्याणकारी है। यदि आपने शुभ कार्य किये, जीवन दान दिया है तो वह कल्याणकारी बनती है। तिर्यंच भी उपकारी का उपकार मानता है यदि अपकार करे तो तिर्यंच बदला लेने में समर्थ है !

ऐसा ही एक प्रसंग बादशाह अकबर का है जिन्हें पान का शौक था एक बार पान वाले ने चूना अधिक लगा दिया तो! अकबर ने एक किलो चुना मँगवाया! वहाँ दुकानदार महेशदास (बीरबल) था वह समझ गया और पूछ ताछ की और समझ गया की पान वाले को दण्ड देने के लिए चुना मँगवाया ! बीरबल ने दो तीन किलो घी का पान उस व्यापारी को करवा दिया! उसके प्राण बच गए। इसलिए कहते है बुराई का फल बुरा है! भगवान कहते है निदा करना है तो स्वयं के दोषों की करो ! आपको जो बल, इन्दिर्य मिली है उससे कम से कम स्वयं का तो भला कर ही सकते है।

निंदा करना 18 पापस्थान में 16 वां पाप है! इससे कर्मबंध होता है वाणी का सदुपयोग करो जिससे कर्मबंधन न हो! तीर्थकरों के 35 वाणी के अतिशय होते है यह उनके सतकर्मो का पुण्य है। मात्र उन्होंने जीव के लिए कल्याणकारी वाणी का ही प्रयोग किया। भगवान महावीर की वाणी से रोहिणेय चोर भी तिर गया! वाणी तो स्वयं को तारती है एवं दूसरो को भी तारती है ‘ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय! औरन को शीतल करें, आपहुँ शीतल होय” भलाई करने वाला ही सुख भोगता है और भविष्य में शाश्वत सुख को प्राप्त करता है।

जंगल में सिंह जिसके पैरों में कांटा चुभा तो किसी दयालु व्यक्ति ने उस कांटा को निकाल दिया और शाता पहुँचाई ! वह सिंह अपने उपकारी का उपकार समय पड़ने पर किया! जब तिर्यच इतना समझदार हो तो आप तो मनुष्य है! आप मन वचन काया से भला करो आपको भी भला होगा आपका भी मंगल होगा। सद्‌गति की प्राप्त होगी।

संचालन मंत्री नरेंद्र मरलेचा ने किया।

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