चेन्नई. विज्ञान सुविधा दे सकता है पर शांति नहीं। शांति चाहिए तो आपको धर्म की शरण में आकर उसका स्वाद चखना होगा। बिना धर्म के शांति नहीं मिल सकती। अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने भगवान शांतिनाथ के जीवन प्रसंग में कहा कि हम सोलहवें तीर्थंकर शांतिनाथ भगवान की स्तुति करें ताकि जीवन में कर्म निर्जरा होकर तीर्थंकर गोत्र की प्राप्ति हो, जीवन में सुख शांति का संचार हो। तीर्थंकर की आराधना से अनंत कर्मों की निर्जरा होती है। शांतिनाथ भगवान के पूर्व जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा जीवन में हमेशा करुणा की भावना रखनी चाहिए।
राजा मेघरथ ने दया करुणा की तो हम भी उनकी तरह तीर्थंकर गोत्र का उपार्जन करें। आज इंसान शांति चाहता तो है पर शांति की जगह वह स्वयं अशांति पैदा करता है। वह चाहता है कि सारे सुख व शांति मिले पर वह उपाय अशांति के करता है। वह समझता है विज्ञान द्वारा निर्मित सारी वस्तुएं खरीद लूं जिससे घर में शांति हो जाएगी।
आज इंसान अपनी बिजी लाइफ में ऐसे जी रहा है कि उसे अपने परिवार का भी कोई खयाल नहीं है। कभी-कभी तो वह टेंशन के कारण डिप्रेशन में तक चला जाता है। परमात्मा कहते हैं जब आत्मा का आत्म स्वरूप में रमण करोगे तो शांति मिलेगी। जिस प्रकार मिश्री की बात करना और उसका स्वाद चखना अलग बात है ठीक उसी तरह शांति की बात करना और उसका अनुभव करना दोनों अलग है। इसलिए जीवन में शांति के लिए शांतिनाथ भगवान की स्तुति करें। गुरुवार को सवेरे 9.15 से 10.30 बजे भगवान शांतिनाथ का छंद अनुष्ठान होगा।