न्यू तेरापंथ भवन में आज विघ्नहरण ह्रींकार अनुष्ठान का आयोजन जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा बालोतरा की ओर से आचार्यश्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि मोहजीत कुमार जी के सानिध्य में किया गया ।
संयोजक मुकेश सालेचा ने बताया कि भगवान पार्श्वनाथ का महान प्रभावक स्त्रोत कल्याण मंदिर’ से विघ्नहर ह्रींकार अनुष्ठान का समायोजन किया गया । इस अनुष्ठान में 127 जोड़ो ने भाग लिया और कई अन्य ने इसका श्रवण किया। सर्वप्रथम मुनिश्री मोहजीत कुमारजी ने कल्याण मंदिर स्त्रोत के निर्माण और आचार्य सिद्धसेन के बारे में विशेष जानकारी सदन को दी और इस स्त्रोत की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत ऋषि और मुनियों की भूमि है भारत मे सदैव से ही अनुष्ठान जप और मंत्रो का विशेष महत्व रहा है ।
इस अनुष्ठान का लक्ष्य व्यक्ति के भीतर मनोबल का विकास करना, अपनी आत्म शक्ति का आभास कराना है जिससे व्यक्ति के भीतर शुद्ध भावों का निर्माण और अन्त:ऊर्जा के प्रकाश का विकास हो । नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण के साथ अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। मुनिश्री भव्य कुमारजी ने अनुष्ठान के बारे में विशेष जानकारी दी और आचार्य तुलसी द्वारा रचित ‘प्रभु पार्श्व देव चरणों’ का संगान किया।
मुनिश्री मोहजीत कुमारजी ने विशेष मंत्रो का स्वाध्याय कराया। उसके बाद मुनिश्री जयेश कुमारजी ने कल्याण मंदिर स्त्रोत का सुमधुर संगान कर अनुष्ठान को सम्पन्न कराया। अनुष्ठान के अंतर्गत विशाल आकृति में *ह्रीं* का निर्माण किया गया और ॐ की रंगोली का निर्माण ऋ़षिका चोपड़ा और विधि भन्साली द्वारा बहुत सुंदर तरीके से किया गया।
स्वागत अभिवक्तव्य तेरापंथ सभा अध्यक्ष धनराज ओस्तवाल और आभार ज्ञापन मंत्री महेंद्र वैद द्वारा किया गया।