कुम्बलगोडु, बेंगलुरु (कर्नाटक): बेंगलुरु महानगर में वर्ष 2019 का चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी मंगलवाणी से प्रेक्षा प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी द्वारा संस्कृत भाषा में रचित ग्रन्थ ‘सम्बोधि’ के माध्यम से जो श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान कर रहे हैं, वह श्रद्धालुओं के जीवन को नई दिशा प्रदान करने वाला है।
आचार्यश्री की मंगलवाणी का प्रभाव इतना है कि प्रतिदिन हजारों की संख्ख्या में श्रद्धालु श्रीचरणों में उपस्थित होते हैं और ‘सम्बोधि’ से सम्बोध प्राप्त करते हैं।
सोमवार को ‘महाश्रमण समवसरण’ में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं व तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के त्रिदिवसीय आयोजन में देश भर से पहुंचे प्रतिनिधियों को आचार्यश्री ने ‘सम्बोधि’ के माध्यम से पावन सम्बोध प्रदान करते हुए कहा कि पदार्थ आकर्षक हो सकते हैं, घृणास्पद भी हो सकते हैं, किन्तु पदार्थ में यह ताकत नहीं है कि वह किसी आदमी के मन में राग या द्वेष का भाव पैदा करने में पूर्णतया सक्षम हैं। विकास या अविकार के पैदा होने में पदार्थ निमित्त बन सकते हैं।
उपादान और निमित्त-ये दोनों आदमी के जीवन के साथ जुड़े हुए हैं। उपादान का महत्त्व होता है और निमित्त का बहुत थोड़ा मूल्य होता है। भाग्य पदार्थ निमित्तता की भूमिका में हो सकते हैं, किन्तु आदमी के मन में विकार या अविकार पैदा करने में उपादान की भूमिका अदा नहीं कर सकते। पदार्थ न विकार पैदा करते हैं और न अविकार पैदा कर सकते हैं, बल्कि जो व्यक्ति आसक्ति वाला है वह पदार्थों के निमित्त से विकृत चित्त वाला बन सकता है। एक चीज को देखकर किसी आदमी के मन में राग-द्वेष की भावना भी जागृत हो सकती है तो किसी दूसरे व्यक्ति के उसी पदार्थ को देखने से वैराग्य की भावना जागृत हो सकती है।
एक कथानक के माध्यम से आचार्यश्री ने लोगों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि राग-द्वेष की भावना व्यक्ति के भीतर से ही उत्पन्न होती है, जो उसे उत्पथ में ले जाने वाली होती है। इसलिए आदमी को अपने जीवन में आने वाले भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में समता और शांति रखने का प्रयास करना चाहिए।
आदमी को अपने जीवन में मैत्री, उदारता, अहिंसा, कषाय की मंदता जैसे गुणों का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने स्वरचित ग्रन्थ ‘महात्मा महाप्रज्ञ’ के माध्यम से लोगों को आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के साधुपन के जीवनकाल का सरस वर्णन किया।
इस अवसर पर आचार्यश्री के दर्शनार्थ पहुंचे राज्यसभा सांसद श्री के.सी. राममूर्ति ने आचार्यश्री से आशीष प्राप्त करने के उपरान्त अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री की विराट अहिंसा यात्रा को जनकल्याणकारी बताते हुए कहा कि मैं आज स्वयं को बहुत सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूंू तो मुझे ऐसे महातपस्वी संत के दर्शन करने तथा उनके प्रवचन सुनने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
नित्य की भांति अनेकानेक तपस्वियों ने आचार्यश्री से अपनी-अपनी तपस्याओं का प्रत्याख्यान किया। इसमें श्रीमती उर्मिला नरेश बरड़िया ने 29 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
तत्पश्चात् तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन महासभा द्वारा संख्या के आधार पर लघु, मध्यम और बृहत् श्रेणी की सभाओं में क्रमशः श्रेष्ठ, उत्तम और विशिष्ट सभाओं का चयन किया गया और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। लघु श्रेणी के अंतर्गत श्रेष्ठ सभा गुजरात की अमराईबाड़ी को, उत्तम सभा असम की धुबड़ी सभा, विशिष्ट सभा हरियाणा प्रान्त की चीकामण्डी सभा को प्रदान किया गया।
मध्यम श्रेणी में राजस्थान की जसोल सभा को श्रेष्ठ, नोखा को उत्तम और आमेट को विशिष्ट सभा का पुरस्कार प्रदान किया गया। बृहत् श्रेणी में मुम्बई व सूरत सभा को श्रेष्ठ, बेंगलुरु की गांधीनगर सभा उत्तम और साउथ हावड़ा कोलकाता को विशिष्ट सभा का पुरस्कार प्रदान किया। महासभा के पदाधिकारियों द्वारा पुरस्कार प्राप्त कर प्रतिनिधियों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा था। वहीं इस मौके पर महासभा द्वारा तेरापंथ मोबाइल एप के माध्यम से आयोजित की गई आॅनलाइन प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर प्रथम, द्वितीय, तृतीय व सांत्वना पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को क्रमशः लैपटाप, मोबाइल व स्मृति चिन्ह आदि प्रदान किया गया।
सुश्री ऐश्वर्या बोथरा, सुश्री प्रतिभा सुराणा, श्रीमती शकुंतला बड़ाला, सुश्री श्रेया हिंगड़, श्रीमती मंगला कुण्डलिया व श्रीमती मंजूदेवी बैद ने अपना पुरस्कार प्राप्त कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं इस सम्मेलन में महनीय सहयोग प्रदानकर्ताओं को भी महासभा के पदाधिकारियों द्वारा स्मृति चिन्ह आदि प्रदान कर सम्मानित किया गया। आचार्यश्री ने अंत में सभी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं व प्रतिनिधियों को पावन आशीष प्रदान की।
कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री दिनेशकुमारजी व महासभा के उपाध्यक्ष श्री सुरेन्द्र जैन ने किया। आभार ज्ञापन महासभा के महामंत्री श्री विनोद बैद ने किया।
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