राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने शुक्रवार को प्रवचन में कहा कि व्यक्ति को पुण्योदय से सांसारिक सुख, वैभव, धन व सम्पत्ति, संतान की सुविधाएं मिलती है। यह सुख-सुविधाएं कोई भी किसी भी प्रकार से स्थायी नहीं है, यह समय अनुसार बदलती रहती है।
अगर वास्तविक आत्मसुख लेना है तो परमात्मा के चरणों में शरण लेने से ही वह मिलेगा। उन्होंने कहा कि मोक्ष का लक्ष्य बनाकर देव, गुरु की साधना-आराधना व भक्ति के मार्ग पर चलेंगे तो निश्चित ही आत्मसुख ग्रहण कर पाएंगे।
ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि इससे पहले संत श्री वज्रतिलक जी की निश्रा में प्रातः के सत्र में प्रतिक्रमण व सामूहिक भक्तामर मंत्र जाप किया गया। साथ ही धाम में प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक शुक्रवार को भी जारी रहा।