पनवेल श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी श्री संयमलताजी म. सा.,श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने अंग्रेजी वर्णमाला के द्वितीय अक्षर ‘C’ से ‘चोरी करना महापाप है’ इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा- जीवन है तो समस्याएं भी हैं। संपन्न हो या अभावग्रस्त, राजा हो या रंक सभी समस्याओं से घिरे हैं। जहां आकांक्षाएं हैं वहां समस्याएं हैं।
आकांक्षाओं पर ब्रेक लगाना है तो जोड़ने के साथ साथ छोड़ने की भी आदत बनाओ, चोरी कर्म से बचें, आकांक्षा में नहीं अपितु आवश्यकता में जियो। महासती ने आगे कहा आज के जमाने में भरोसे के रिश्ते कमजोर होते जा रहे हैं, पंख लगाकर कौवे भी मोर बनते जा रहे हैं, पहरेदार भी चोर होते जा रहे हैं। बिना मालिक की आज्ञा से कोई वस्तु लेना, यहां तक कि एक तिनका भी लेना चोरी कहलाती है। साध्वी कमल प्रज्ञा ने कहा प्रेम वशीकरण मंत्र हैं, प्रेम ही जीवन है, प्रेम ही भगवान है। जिस घर में प्रेम है वह मंदिर है, जिस घर में प्रेम नहीं वह शमशान है। जिस घर में मां बाप बच्चे एक साथ मिलजुल कर रहते हैं, घर का सुख चैन कभी नष्ट नहीं होता। घर में प्रेम और एकता को बढ़ाने के लिए सामूहिक भोजन और सामूहिक भजन करते और कराते रहना चाहिए। कात्रज कोंढवा पुणे से 70 श्रद्धालुओं ने दर्शन प्रवचन का लाभ लिया।