उज्जैन। आषाढ़ शुक्ल से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक देव शयन करते हैं। चातुर्मास काल के इस समय में देवी शक्तियां सूक्त अवस्था में रहती है और आसुरी शक्तियां जागृत रहती है।
इसका कारण भी है कि चातुर्मास के इस समय में भगवान सूर्य दक्षिणायन में रहते हैं। दक्षिण दिशा असुरों की मानी गई है। ऐसे में वायुमंडल में आसुरी शक्तियां प्रादुर्भाव में ज्यादा रहती है, लेकिन देवउठनी एकादशी से दैवीय शक्तियां अस्तित्व में आ जाती है।
शनिवार को भगवान श्री राम मंदिर के निर्माण संबंधी प्रक्रिया के तहत माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को भी इसी से जोड़कर निश्चित ही देखा जा सकता है।
यह कहा भगवान श्रीकृष्ण के गुरु संदीपनी महर्षिजी के वंशज एवं ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास ने। उन्होंने बताया कि भगवान सूर्य अब शनै शनै उत्तरायण से आएंगे ऐसे में दैवीय तत्त्व वायुमंडल, वातावरण, पृथ्वी के कण-कण सहित व्यक्ति के शरीर में जागृत रहेंगे।
भगवान श्री राम मंदिर निर्माण संबंधी फैसला भी दैवीय शक्तियों के प्रादुर्भाव के रूप में उल्लास पूर्वक शुभता के साथ विजय पताका फहराने जैसा ही है।