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वाणी में अमृत भी भरा है,और विष भी: महासती धर्मप्रभा

वाणी में अमृत भी भरा है,और विष भी: महासती धर्मप्रभा

Sagevaani.com @चैन्नई। वाणी में अमृत भी है और विष भी,शनिवार साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने आयोजित धर्मसभा में श्रध्दालुओं को सम्बोधित करतें हुए कहा कि मनुष्य अपने शब्दों मे मधुरता और विवेक नहीं रखता है और कुटता रखता है तो उसका जीवन बर्बाद हो जाऐगा। वचन ऐसे बोलने चाहिए की किसी के भी मन को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए वरना यह वाणी तुम्हारा अपमान करा देगी । इंसान की वाणी ही उसको पहचान और सम्मान दिलाती है। पढ़ लिखकर व्यक्ति कितनी भी डिग्रियां प्राप्त कर लेवें परन्तु उसने अपनी जिह्वा पर संयम और कन्ट्रोल नहीं रखा तो वाणी से वह अपना ही अहित करवा सकता है। किसी के भी प्रति अप्रिय शब्दो का उपयोग न हो जो कुछ भी बोला जाए उसकी अच्छाइयों से संबंधित ही बोला जाए तो इस वाणी से सुनने वाला तो प्रसन्न होगा ही,बोलने वाला भी आनंदित हो जाऐगा। वाणी मे संयम रखने वाला व्यक्ति ऊंचाइयों तक पहुंच जाता है। इसके विपरीत अनियंत्रित वाणी बोलने वाला व्यक्ति जीवन भर असफलता कोप्राप्त करता है।

जो व्यक्ति वाणी से सदैव मीठा बोलता है उसके मित्रों का क्षेत्र भी विस्तारित होता है। मृदुभाषी होने की स्थिति में लोगों के सहयोग और समर्थन में वह अत्यधिक ऊर्जा का संग्रह कर लेता है, जबकि कटु वचन बोलने वाला व्यक्ति अकेला पड़ जाता है। समझदार लोग मन बुद्धि व ज्ञान की छलनी में छानकर वाणी का प्रयोग करते हैं वे ही हित की बातों को समझते हैं और वे ही शब्द और अर्थ के संबंध ज्ञान को जानते हैं। जो व्यक्ति बुद्धि से शुद्ध वचन का उच्चारण करता है वह अपने हित को तो समझता ही है जिससे बात कर रहा है उसके हित भी समझता है। वाणी में आध्यात्मिक और भौतिक, दोनों प्रकार के ऐश्वर्य हैं। मधुरता से कही गई बात कल्याण कारक रहती है, किंतु वही कटु शब्दों में कही जाए तो अनर्थ का कारण बन सकती है।

कटु वचन रूपी बाण से किसी के मर्म स्थलों को घायल करने के बराबर है मनुष्य को सोच समझकर बोलना चाहिए तभी सफलता वह को प्राप्त कर सकता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा कि वाणी दोस्त भी है और उसकी दुश्मन भी,अगर मनुष्य अपनी जिह्वा का सही ढ़ग से इस्तेमाल नहीं करता है और गलत वाक्य का प्रयोग करता और बोलता है तो मित्र भी उसका दुश्मन बन जाएगा। शब्द़ व्यक्ति के जीवन को निर्माण भी करते है और बिगाड़ भी देतें है। शरीर पर लगे चोट के लगे घाव तो भर जाते है परन्तु वचनों के घाव जीवन भर नहीं भरते है। वाणी मे हमारी मधुरता और मिठास नहीं है तो हम अपने परिवार को टुटने से नहीं बचा पाएंगे।

साहुकार पेट श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया इसदौरान साध्वी धर्म प्रभा के सानिध्य में चैन्नई भारतीय जैन संघठना द्वारा दो दिवसीय बालिकाओं की वर्तमान परिवेश मे स्वंय की पहचान बनाने की स्मार्ट गर्ल वर्कशॉप शिविर का श्री एस.एस.जैन संघ के अध्यक्ष एम. अजितराज कोठारी मंत्री सज्जनराज सुराणा,हस्ती मल खटोड़,शम्भूसिंह कावड़िया अशोक सिसोदिया तथा भारतीय जैन संघठना के उपाध्यक्ष दौलतराज बांठिया,अंतिमा भंसाली,संतोष पारिख आदि सभी की उपस्थिति मे बालिकाओं को वर्तमान परिवेश में स्वयं की पहचान और आत्म निर्भर बनने के बालिकाओं को गुर बताएं गयें।

प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्री एस.एस.जैन संघ साहुकार पेट

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