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वाणी को बाण नहीं, वीणा बनाएं : मुनि सुधाकर

वाणी को बाण नहीं, वीणा बनाएं : मुनि सुधाकर
किलपॉक, चेन्नई  : मुनि श्री सुधाकरजी एवं मुनि श्री नरेशकुमारजी के सान्निध्य में किलपॉक स्थित बाबूलाल डूंगरवाल निवास स्थल पर रविवारीय विशेष आध्यात्मिक प्रवचन “कैसे बोले कि हर काम बन जाए” का आयोजन किया गया।
   प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए कहा मुनि सुधाकरकुमार ने कहा कि  शब्द संसार के रचयिता हम स्वयं हैं। शब्दों में अद्भुत शक्ति होती है। एक शब्द स्वर्ग जैसा नजारा बना सकता है, वही एक शब्द नरक से भी बदतर हालत पैदा कर सकता है। एक शब्द पराए को अपना, अपने को पराया बना सकता है। व्यक्तित्व को प्रभावशाली एवं कलापूर्ण बनाने के लिए संप्रेषण की कला का विकास जरूरी है। आपके शब्द आपके व्यक्तित्व को पहचान देते हैं। वाणी में सत्यता, उच्चता, मधुरता का समावेश होना चाहिए।
  मुनिश्री ने आगे कहा वाणी को बाण नहीं वीणा बनाएं। कब, कहां, कैसे, क्यों एवं किस से बोल रहे हैं, बोलने से पहले सोचें। आपकी वाणी सत्यम, शिवम, सुंदरम का प्रतीक बने। जीवन की सफलता, मन की सरलता, चित् की प्रसन्नता के लिए वाणी का विवेक जरूरी है। खरी बात में भी खारापन नहीं हो। यह ध्यान रखें, कभी भी छेदकारी, भेदकारी, कलहकारी, मरमकारी भाषा का प्रयोग ना करें।
  मुनिश्री ने विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि हमें आदेश की भाषा नहीं, अनुरोध की भाषा बोलनी चाहिए। हमारी भाषा में कृतज्ञता और प्रशंसा के भाव का समावेश होना चाहिए।
  इस अवसर पर तेरापंथ सभा, चेन्नई एवं अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्यारेलाल पितलिया ने भी विचार रखे। जसवंतसिंह डूंगरवाल एवं नितिका डूंगरवाल ने गीतिका प्रस्तुत की एवं बाबूलाल डूंगरवाल ने आभार जताया।

            स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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