चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा के सानिध्य में मंगलवार को आचार्य आत्माराम की 131वीं और प्रवर्तक शुक्लचंद की 119वीं जन्म जयंती पर उनका गुणगान किया गया। इस मौके पर साध्वी ने कहा कि महापुरुषों की पहचान उनके त्याग से होती है।
अगर खुद की पहचान बनानी है तो धर्म के कार्यो से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। पिछले जन्म में अच्छे कर्म करने वालों को मनुष्य भव मिला है। अपने आगामी भव को बेहतर करने के लिए इस भव को बेहतर बनाने की जरूरत है। दान-पुण्य के साथ पशु-पक्षियों को भी भोजन कराना चाहिए।
मनुष्य अगर अपने कल हो अच्छा और बेहतर बनाना चाहता है तो उसके लिए उसे आज ही बेहतर कार्य करने की जरूरत है। आज बेहतर होगा तो निश्चित रूप से कल बेहतर हो जाएगा। जीवन में आगे बढऩे के लिए अलग मार्ग चुनने की जरूरत नहीं होती बल्कि अलग करने की जरूरत होती है।
जो दान, दया और धर्म के कार्यो से खुद को जोडऩे का कार्य करते हैं उनका जीवन सुखमय बन जाता है। परमात्मा ने अपने आचरण से उपदेश देकर सुख और शांति का मार्ग गठित किया है। परमात्मा ने आलोक के स्वरूप को बताया है, जो जीवन के तत्व को नहीं जानते वे लोक को भी नहीं जान सकते।
अंधकार को जानने वालों के जीवन में प्रकाश आ जाता है। मनुष्य को समय निकाल कर जीवन में उपकार के कार्य कर लेने चाहिए। अगर जीवन को ऐसे ही व्यर्थ कर दिया तो कुछ हासिल नहीं होगा। बुधवार को आचार्य शिवमुनि की 77वीं जयंती तप त्याग के साथ मनाई जाएगी।