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वंदन से टूटें, कर्मों के बंधन : मुनि सुधाकर

वंदन से टूटें, कर्मों के बंधन : मुनि सुधाकर

  विश्व शांति दिवस पर मुनि श्री का विशेष प्रवचन

माधावरम्, चेन्नई ; श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ माधावरम ट्रस्ट के तत्वावधान में जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में आवस्स्यं सुत्र पर आधारित व्याख्यानमाला के तीसरे दिन मुनि श्री सुधाकरजी ने वंदना विषय पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वंदना से कर्मों के बंधन टूटते हैंl मन में भक्ति, वचन से स्तुति, शरीर में विनम्रता, व्यक्ति को भाव वंदना की ओर अग्रसर करती हैl वन्दना से विनम्रता का विकास होता हैl विनम्रता जीवन का सच्चा श्रृंगार हैl विनम्रता से नीच गोत्र का नाश एवं उच्च गोत्र का बंधन होता हैl अप्रतिहत सौभाग्य की प्राप्ति होती हैl यश, सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती हैl मुनिश्री ने वंदन पाठ का विस्तार से विवेचन करते हुए वंदना के महत्व को रेखांकित कियाl

मुनि श्री सुधाकरजी ने विश्व शांति दिवस पर प्रवचन करते हुए कहा – विश्व शांति के बीज मानव के मस्तिष्क में हैl युद्ध का जन्म युद्ध के मैदान में नहीं होता, सबसे पहले वह मानव के मस्तिष्क में होता हैl नकारात्मक विचारों से हिंसा का जन्म होता है। हमारे मस्तिष्क में शांति और अशांति दोनों के बीज है, हम किसे अंकुरित करते हैं, यह हम पर निर्भर करता हैl हम जैसी भावनाएं करते हैं, हमारे शरीर और मस्तिष्क में वैसे ही रसायन पैदा हो जाते हैंl विश्व शांति के लिए पवित्र भावनाओं का संकल्प जरूरी हैl

नकारात्मक विचारों से ही अशांति के जहरीले रसायन पैदा होते हैंl आज परिवार, समाज और देश में जो ईर्ष्या और द्वेष का भाव बढ़ रहा है, वही अशांति का सबसे बड़ा कारण हैl हमें प्रतिदिन अपने लिए और दूसरों के लिए मंगल, शांति और आनंद की कामना करनी चाहिएl हमारे विचार और संकल्प जितने शांत और पवित्र होगे उतना ही शांति और आनंद का वातावरण निर्मित होगाl आज विश्व को अणु बम नहीं अणुव्रत की जरूरत है। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों से जीवन को सजाया एवं संवारा जा सकता है। अणुव्रत का मुख्य लक्ष्य “संयम ही जीवन है” के भाव पर आधारित है। आज बढ़ती उपभोगवादि मनोवृति ही अशांति का कारण है l अणुव्रत की साधना के लिए उस मनोवृति का त्याग जरूरी है, तभी हम सच्ची शांति का अनुभव कर सकते हैंl विश्व शांति की कल्पना से पहले हम मन की शांति पर ध्यान देवेंl

मुनि श्री नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान कियाl ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी श्री घीसुलाल बोहरा ने बताया कि शनिवार साय: 7 से 8 बजे पंच गंठी (गांठ) प्रबल पंचपरमेष्ठी आत्मरक्षा कवच महामंत्राधिराज नमस्कार महामंत्र पर आधारित दिव्य मंत्र एवं तंत्र का अनुष्ठान होगाl

   समाचार सम्प्रेषक : स्वरुप चन्द दाँती

   मीडिया प्रभारी ; श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई

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