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लोभ को संतोष से करें नियंत्रित: शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

लोभ को संतोष से करें नियंत्रित: शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

अंचेपालया, बेंगलुरु (कर्नाटक): हम सभी के भीतर एक वृत्तियों का संसार है। गुस्से की वृत्ति और गुस्से की वृत्ति भी आदमी में होती है। दुनिया में जितने भी अपराध होते हैं, उन सभी अपराधों का कारण गुस्से और लोभ की वृत्ति होती है। ये आदमी से अपराध करा देते हैं। आदमी को हिंसा आदि की ओर धकेल देते हैं। लोभ एक ऐसी वृत्ति है, जिसके कारण आदमी हत्या भी कर सकता है, झूठ भी बोल सकता है, चोरी भी कर सकता है। जो वीतरागी पुरुष होते हैं, वे इन वृत्तियों से मुक्त होते हैं और अवीतरागी में ये सारी वृत्तियां मौजूद होती हैं। लोभ को पाप का बाप कहा गया है। आदमी को संतोष की साधना कर लोभ को जीतने का प्रयास करना चाहिए। 

आदमी के भीतर कामनाओं की लहर भी सदैव उठती रहती है और जहां कामना होती है वहां दुःख होता है। कामनाएं/इच्छाएं अनंत होती हैं। इच्छाओं को तो आकाश के समान कहा गया है। जिस प्रकार आकाश का कहीं अंत नहीं होता, उसी प्रकार कामनाओं/इच्छाओं का अंत नहीं होता। आदमी को अपनी कामनाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। संयम और संतोष के द्वारा आदमी अपनी कामनाओं को नियंत्रित और लोभ की प्रवृत्ति से अपना बचाव कर सकता है। असंतोषी आदमी मूढ़ होता है और संतोष को धारण करने वाला पंडित होता है।

आदमी को भोग में संयम रखने और इच्छाओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने लोभ को कंट्रोल करे और जीवन में संतोषमय बनाए तो जीवन अच्छा बन सकता है। उक्त जीवनोपयोगी पावन पाथेय जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, शांतिदूत, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शुक्रवार को आंचेपालया में स्थित जिन्दल पब्लिक स्कूल में समुपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान की। 

इसके पूर्व शुक्रवार को प्रातः आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ यशवंतपुर नगर के तेरापंथ भवन से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री आज अपने विहार के दौरान बेंगलुरु महानगर के बाहरी भाग की ओर पधार रहे थे। राष्ट्रीय राजमार्ग और मेट्रो ट्रेन के परिचालन के बनाए गए पुल दोनों साथ-साथ चल रहे थे। हांलाकि राजमार्ग कई लेन में था, इसके बावजूद वाहनों की अधिकता महानगर यातायात की गाथा गा रहा था। लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री आंचेपालया स्थित जिन्दल नगर के जिन्दल पब्लिक स्कूल में पधारे।

छात्रों ने स्कूली बैंड के साथ आचार्यश्री का स्वागत किया। इसके साथ जिन्दल एल्युमिनियम ग्रुप व स्कूल प्रबन्धन, शिक्षण कार्य से जुड़े लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनन्दन किया। आचार्यश्री स्कूल परिसर में पधारे। स्कूल परिसर में बने रंगमंच से आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालुओं को लोभ से बचने और जीवन को संतोषमय बनाने की पावन प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री ने जिन्दल पब्लिक स्कूल पदार्पण के संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया।

आचार्यश्री के स्वागत में स्कूली छात्राओं ने गणेश वन्दना कर आचार्यश्री का अभिनन्दन किया। जिन्दल कम्पनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री बी.डी. गर्ग, वाइस चेयरमेन श्री के. आर. प्रभुनाथ, श्री सुरेन्द्र पटेल व श्री विजय मण्डल ने आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। श्री सीताराम जिन्दल ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया

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