आचार्य जयमल की जयंती मनाई
चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा के सानिध्य में शुक्रवार को आचार्य जयमल की जयंती मनाई गई। उन्होंने कहा कि जयमल का जीवन बहुत ही सामान्य था। उन्होंने तो अच्छे कार्य कर मोक्ष पा लिया अब हमें भी चिंतन करने की जरूरत है। जो महान होते हैं उनकी महानता के लक्षण पैदा होते ही नजर आने लगते हैं।
वैसा ही जीवन जयमल का था। उनके जन्म के बाद ही उनके महान लक्षण दिखने लगे थे। उन्होंने कहा कि जयमल का स्वभाव बहुत ही सरल था। उनके अच्छे स्वभाव और महान कार्यो की आज भी प्रशंसा होती है। मनुष्य महान नहीं होता है बल्कि उसके कर्म उसे महान बनाते हैं। अगर कोई सोचे कि वो महान बन जाये तो ऐसा संभव नहीं हो सकता है।
ऐसा तभी सम्भव होगा जो लोग कर्म अच्छा करेंगे। महापुरुषो के जयंती पर गुणगान सुन कर अगर जीवन को बदल जाये तो बदल जायेगा। सुनने के बाद भी अगर कोशिश नहीं किया तो जैसे हैं वैसे ही रह जाएंगे। जीवन मे मौका सभी को मिलता है। कुछ उसका उपयोग कर आगे निकल जाते हैं और कुछ असफल हो जाते हैं।
मौका मिला है तो आगे निकलने की कोशिश करनी चाहिए।साध्वी समिति ने कहा कि किस महासती के जीवन मे किस कारण से वैराग्य आया और कैसे मोक्ष मिला उसे हम सब को याद करना है। प्रवचन में उनका जीवन चारित्र चलता है तो उसे सुन कर भूलना नहींं बल्कि उनके जैसा बनने का प्रयास करना चाहिए।
जिस प्रकार से उन लोगो ने धर्म मे अटूट विश्वास रख कर जीवन का कल्याण किया, वैसा ही विश्वास हमे भी रखने की जरूरत है। सतियों के जीवन के बारे में जान कर उनका अनुसरण करने से जीवन मे बदलाव आने लगेगा। धर्म की देशना करने से ही जीवन सुंदर बनता है। दुनिया के हर कार्य का फल इस लोक तक मिलता है लेकिन धर्म का फल इस लोक के साथ परलोक में भी मिलता हैं।
उन्होंने कहा मोक्ष में जाना तो सब चाहते हैं पर उनके जीवन मे वैराग्य नहीं आ पाता है। अगर वैराग्य आ जाये तो तुरंत सांसारिक मोह से दूर होकर मोक्ष की ओर बढ़ जाना चाहिए। कार्यक्रम में अध्यक्ष आनंद मल छलाणी, उपाध्यक्ष सुरेश कोठारी, जेपी ललवानी, मंत्री मंगल चंद खारीवाल, दुलीचंद छाजेड उपस्थित थे।